धर्म-संस्कृति
Trending

नागेश्वर महादेव : धार्मिक प्राचीन गुफा, जहां प्राकृतिक रूप से बनते हैं आलौकिक शिवलिंग

खबर को सुनें

जोगिन्दरनगर। हिमाचल प्रदेशमंडी जिला के जोगिंदर नगर उपमंडल के तहत ग्राम पंचायत लडभड़ोल के अंतर्गत कुड्ड गांव में एक प्राचीन गुफा है जहां पर प्राकृतिक तौर पर अनेकों शिवलिंग का निर्माण होता रहता है। वर्तमान में इस प्राकृतिक गुफा में ऐसे अनेकों शिवलिंग निर्मित हो चुके हैं तथा यह प्रक्रिया अभी भी निरन्तर जारी है।




इस प्राचीन गुफा में प्राकृतिक तौर पर पानी की बूंदें निरंतर गिरती रहती हैं तथा यह प्रक्रिया सैंकड़ों वर्षों से निरंतर जारी है जिसके कारण यहां पर अनेकों प्राकृतिक तौर पर शिवलिंग निर्मित हुए हैं। एक बड़ी पहाड़ी के नीचे स्थापित यह प्राकृतिक गुफा महादेव के प्रति आस्था रखने वालों को बरबस ही आर्किषत करती है।श्रद्धालु इस गुफा के दर्शन करते हुए इसे एक छोर से दूसरे छोर तक आसानी से पार करते हैं।



इस बीच प्राकृतिक तौर पर गिरती पानी की बूंदें जहां श्रद्धालुओं में महादेव के प्रति आस्था को मजबूत करती है तो वहीं प्रकृति का एक अनुपम अनुभव भी मिलता है। बाहर से देखने पर इस प्राचीन गुफा में कई तरह की आकृतियां देखने को मिलती हैं जो प्राकृतिक तौर पर स्वयं निर्मित हुई हैं। कहते हैं कि यह गुफा सदियों पुरानी है।



लोगों का कहना है कि इस प्राचीन गुफा से प्राकृतिक तौर पर निर्मित दो रास्ते जाते हैं जिनमें से एक प्रसिद्ध त्रिवेणी महादेव मंदिर घटोड के दाहिनी ओर जबकि दूसरा रास्ता ग्राम पंचायत तुल्लाह के प्रसिद्ध धार्मिक स्थान टोण भ्रराडी चुल्ला के नीचे ब्यास नदी के किनारे निकलता है। वर्तमान में इन प्राचीन रास्तों के माध्यम से जाना लगभग असंभव है।




इसी प्राकृतिक गुफा के सामने एक विशाल चट्टान का छत्र है जिसके नीचे भी भगवान शिव, महाकाली तथा हनुमान जी के मंदिरों के साथ नवग्रहों की भी स्थापना की गई है। यह एक ऐसा स्थान है जहां पर बारिश की एक भी बूंद नहीं गिरती है तथा प्राकृतिक तौर पर निर्मित यह छत्र भी श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है।



इस प्रसिद्ध धार्मिक स्थान का यहां पर समय-समय पर निवास करते रहे साधु महात्माओं ने जीर्णोद्धार किया है। जिनमें श्री राम गिरि,ब्रह्मलीन बाबा कालू, महंत प्रेमगिरि तथा महंत इन्द्र गिरि प्रमुख हैं। मंदिर परिसर का विकास निरंतर जारी है तथा मंदिर संचालन के लिए एक समिति भी गठित की गई है।




सूखा पड़ने पर प्राकृतिक शिवलिंगों का करते हैं जलाभिषेक, शिवरात्रि महोत्सव का होता है आयोजन
इस प्राचीन धार्मिक स्थान की एक विशेषता यह है कि जब कभी लंबे समय तक वर्षा न हो तथा सूखा पड़े तो आसपास क्षेत्रों के लोग यहां एकत्रित होते हैं।


इस दौरान प्राचीन गुफा में निर्मित शिवलिंगों का जलाभिषेक किया जाता है तथा यह प्रक्रिया तब तक जारी रखते हैं जब तक जलाभिषेक का पानी प्राकृतिक गुफा के नीचे बह रही सरिता (खड्ड) में न पहुंच जाए।कहते हैं कि ऐसा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं तथा वर्षा होती है। इस तरह के उदाहरण कई बार देखने को मिले हैं जो साक्षात शिव शक्ति का प्रमाण है।



इस पवित्र धार्मिक स्थान पर शिवरात्रि महोत्सव का भव्य आयोजन किया जाता है। साथ ही श्रावण मास में भगवान शिव की श्रद्धालु विशेष पूजा अर्चना भी करते हैं। ज्येष्ठ माह में यहां पर मेले का आयोजन भी किया जाता है जिसमें क्षेत्र के लोग बढ़चढक़र भाग लेते हैं। इसके अतिरिक्त समय-समय पर कई धार्मिक आयोजन भी होते रहते हैं।




प्राकृतिक तौर पर है बेहद खूबसूरत स्थान, यहां आकर मिलता है अलौकिक शांति का अनुभव
प्राकृतिक तौर पर यह स्थान बेहद खूबसूरत है तथा यहां आकर एक अलग तरह की अलौकिक शांति का अनुभव मिलता है। यहां की हरी भरी प्रकृति, चारों ओर ऊंचे एवं खूबसूरत पहाड़ तथा यहां बहती सरिता की मंद-मंद आवाज मन को बेहद सुकुन प्रदान करती है।



भगवान शिव के प्रति गहरी आस्था रखने वाले श्रद्धालु घंटों इस स्थान को न केवल निहारते रहते हैं बल्कि अलौकिक शांति का अनुभव भी करते हैं। ऐसे में यह स्थान धार्मिक आस्था के साथ-साथ प्रकृति प्रेमियों के लिए भी एक आकर्षण का केंद्र है। इसी मंदिर परिसर में एक बड़ी गौशाला का निर्माण भी प्रस्तावित है जहां पर एक साथ सैकड़ों गौधन को रहने की व्यवस्था होगी।




कैसे पहुंचें मंदिर
यह प्रसिद्ध धार्मिक स्थान बैजनाथ-लडभड़ोल-कांढ़ापत्तन-सरकाघाट मुख्य सडक़ पर तहसील मुख्यालय लडभड़ोल के समीप बलोटू गांव से संपर्क मार्ग के माध्यम से लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर है। यह स्थान पक्की सडक़ से जुड़ा हुआ है तथा मंदिर परिसर तक वाहन आसानी से पहुंचते हैं। यह स्थान उपमंडल मुख्यालय जोगिन्दर नगर से वाया गोलवां लगभग 40 किलोमीटर,प्रमुख धार्मिक स्थान बैजनाथ से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
इस स्थान पर बैजनाथ व जोगिन्दर नगर के अलावा सरकाघाट से वाया कांढापत्तन व धर्मपुर, हमीरपुर से वाया संधोल, सांढापत्तन होते हुए सडक़ मार्ग से पहुंचा जा सकता है। यहां का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन बैजनाथ-पपरोला तथा हवाई अड्डा गग्गल कांगड़ा है। यह पवित्र धार्मिक स्थान विश्व प्रसिद्ध पैराग्लाइडिंग साईट्स बीड़-बिलिंग से महज 25 किलोमीटर की दूरी पर है।
(साभार – राजेश जसवाल सहायक लोक संपर्क अधिकारी)

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button