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शराब असली है या नकली, चंद सेकेंड में चल जाएगा पता, जानिये कैसे

नकली शराब पीने से आए दिन लोगों की मौत होती है। अब सवाल उठता है कि आखिर लोग नकली शराब पहचान क्यों नहीं पाते। अगर किसी तरह से लोग नकली और असली शराब में फर्क करना समझ जाएं तो उनकी जिंदगी भी बच सकती है और नकली शराब का व्यापार करने वालों का भी भंडाफोड़ हो सकता है। तो चलिए आज इस आर्टिकल में आपको कुछ ऐसे तरीके बताते हैं, जिनकी मदद से आप असली और नकली शराब में पहचान कर पाएंगे।




पहले दोनों शराबों के बीच का अंतर जानिए
दरअसल, असली शराब बनाने के लिए जिस केमिकल का इस्तेमाल होता है, उसे एथेनॉल कहा जाता है। सबसे बड़ी बात की असली शराब बनाने के लिए कंपनियां इस केमिकल का इस्तेमाल एक तय मात्रा में करती हैं। जबकि नकली शराब बनाने के लिए एथेनॉल की जगह स्प्रिट, मिथाइल अल्कोहल, इथाइल अल्कोहल, यूरिया, ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन जैसे कई केमिकल्स का प्रयोग किया जाता है। इन्ही केमिकल्स की बढ़ी हुई मात्रा की वजह शराब जहरीली हो जाती है।




अब समझिए नकली और असली की पहचान कैसे करें
नकली शराब बनाने वाले इतने ज्यादा हाईटेक हो गए हैं कि वो लोग नकली शराब का रंग, उसका स्वाद और उसकी गंध को ऐसे तैयार करते हैं जैसे एक दम असली शराब हो। हालांकि, इसके बावजूद भी अगर आप थोड़ी सी सावधानी बरतें तो नकली शराब की पहचान कर सकते हैं। सबसे पहली और जरूरी बात तो यही है कि आप जब भी शराब खरीदें, आधिकारिक दुकान से ही खरीदें। आधिकारिक दुकान से शराब खरीदने पर नकली शराब मिलने का चांस बेहद कम होता है। इसके साथ ही नकली शराब को आप उसकी पैकेजिंग से भी पहचान सकते हैं। आप देखेंगे कि नकली शराब की पैकेजिंग बेहज घटिया होगी और उसके नाम की स्पेलिंग में भी गोलमाल होगा। इसके साथ ही नकली शराब की बोतलों की सील कई बार टूटी हुई होती है।




नकली शराब पी ली तो क्या होगा
अगर आपने नकली शराब गलती से पी ली तो आपके शरीर में कई तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं। कई बार तो स्थिति इतनी भयावह हो जाती है कि इंसान की मौत तक हो जाती है। आपको बता दें अगर आपने गलती से जहरीली शराब पी ली तो आपके शरीर में भ्रम की स्थिति, उल्टी, दौरे, कमजोरी, असंतुलित सांसें, स्किन पर नीलापन, हाइपोथर्मिया और बेहोशी जैसे लक्षण दिखाई पड़ सकते हैं। सही समय पर इन लक्षणों को पहचान कर आप मरीज की जान बचा सकते हैं।




अवैध कच्ची शराब कैसे बन जाती है जहर?
अवैध कच्ची शराब को बनाने में सड़ी-गली चीजों के साथ कई तरह के केमिकल और दवाइयों का इस्तेमाल होता है। जब इनमें से कोई केमिकल और दवाई निश्चित मात्रा से ज्यादा इस्तेमाल हो जाती है। तो, ये कच्ची शराब अपनेआप ही जहरीली शराब में बदल जाती है।



आसान शब्दों में कहें, तो कच्ची शराब को और अधिक नशीला बनाने की कोशिश में केमिकल का इस्तेमाल ज्यादा किया जाता है। जो इसे जहरीला बना देता है। दरअसल, ये मानव शरीर में प्राकृतिक रूप से मौजूद केमिकल्स से मिलकर रिएक्शन करते हैं। जिससे ऐसे जहर का निर्माण होता है। जो लोगों की जान लेने के लिए काफी होता है। वैसे, बिहार में जिस जहरीली शराब ने 70 से ज्यादा जिंदगियां लील लीं। वो भी कच्ची शराब ही थी।


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