इस वर्ष बसंत पंचमी पर्व 16 फरवती को है और इस विशेष दिन मां सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। हर साल यह पर्व माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि सृष्टि के निर्माण के बाद इसी दिन परम पिता परमेश्वर ब्रह्माजी ने मां सरस्वती के आशीर्वाद से मां सरस्वती का प्राकट्य हुआ था, इसलिए इस दिन मां सरस्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती का आशीर्वाद पाने के लिए पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना व मंत्रोच्चारण करना चाहिए। ऐसा करने से शुभ फल प्राप्त होता है –
ऐसे करें मां सरस्वती की आराधना
– सुबह-सुबह नहाकर मां सरस्वती को पीले फूल चढ़ाएं।
– पूजा के समय मां सरस्वती की वंदना करें।
– पूजा स्थान पर वाद्य यंत्र और पुस्तकें आदि इत्यादि रखें।
– यदि घर में बच्चें हैं तो उन्हें भी पूजा स्थल पर साथ बैठाएं।
– बच्चों को इस दिन अच्छी पुस्तकें तोहफे में देना चाहिए।
– इस दिन पीले चावल या पीले रंग का भोजन करें।
सरस्वती उपासना मंत्र
सरस्वती नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणी, विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु में सदा।
मां सरस्वती जी की आरती
जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता।
सद्गुण, वैभवशालिनि, त्रिभुवन विख्याता ।।जय..।।
चन्द्रवदनि, पद्मासिनि द्युति मंगलकारी।
सोहे हंस-सवारी, अतुल तेजधारी।। जय.।।
बायें कर में वीणा, दूजे कर माला।
शीश मुकुट-मणि सोहे, गले मोतियन माला ।।जय..।।
देव शरण में आये, उनका उद्धार किया।
पैठि मंथरा दासी, असुर-संहार किया।।जय..।।
वेद-ज्ञान-प्रदायिनी, बुद्धि-प्रकाश करो।।
मोहज्ञान तिमिर का सत्वर नाश करो।।जय..।।
धूप-दीप-फल-मेवा-पूजा स्वीकार करो।
ज्ञान-चक्षु दे माता, सब गुण-ज्ञान भरो।।जय..।।
माँ सरस्वती की आरती, जो कोई जन गावे।
हितकारी, सुखकारी ज्ञान-भक्ति पावे।।जय..।।
सरस्वती वंदना
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा माम् पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥1॥
शुक्लाम् ब्रह्मविचार सार परमाम् आद्यां जगद्व्यापिनीम्।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्॥
हस्ते स्फटिकमालिकाम् विदधतीम् पद्मासने संस्थिताम्।
वन्दे ताम् परमेश्वरीम् भगवतीम् बुद्धिप्रदाम् शारदाम्॥2॥
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