धर्म-संस्कृति

कहानी : लड्डू और मोमो का तक-धिनाधिन

हिमाचल का छोटा सा गांव। नाम है कोठी। कोठी में एक छोटा सा किराना दुकान चलाने वाला लड्डू हर किसी के चेहरे पर मुस्कान लाने का हुनर रखता था। उसकी दुकान पर गाँव के लोग सिर्फ सामान लेने नहीं, बल्कि अपनी समस्याएँ और किस्से भी सुनाने आते थे। लड्डू अपने चुटीले जवाब और हास्यास्पद हरकतों से हर किसी का दिन बना देता था।

एक दिन, लड्डू की दुकान पर एक नया ग्राहक आया। यह मोमो था, एक घुमक्कड़ आदमी जो शहर से आया था। उसने सफेद झकझक पैंट, चमचमाते जूते और सिर पर टोपी पहन रखी थी। मोमो ने दुकान में कदम रखते ही एलान किया, “भैया, क्या आपके यहाँ अँग्रेजी वाले बिस्कुट मिलते हैं?”

लड्डू, जो गाँव की ठेठ भाषा में ही बात करता था, उसकी यह फरमाइश सुनकर आँखें फाड़कर बोला, “अरे भाई, यहाँ तो बिस्कुट सिर्फ पेट भरने के लिए बिकते हैं, अंग्रेजी सुधारने के लिए नहीं।”

मोमो हँसते हुए बोला, “तब तो आपकी दुकान मेरे लायक नहीं है।” यह सुनकर लड्डू ने ठहाका लगाया और कहा, “भाई, मेरी दुकान में इतना दम है कि इसे लायक भी बना दूँगा।” दोनों के बीच हँसी-मज़ाक का सिलसिला शुरू हो गया।

कुछ दिनों बाद, मोमो ने गाँव में रहने का फैसला कर लिया। वह गाँव के स्कूल में इंग्लिश टीचर बन गया। अब गाँव के बच्चों को ‘गुड मॉर्निंग’ और ‘थैंक यू’ के साथ-साथ लड्डू की दुकान पर बैठकर हँसी-मजाक भी सीखने को मिला। लड्डू और मोमो की दोस्ती दिन-ब-दिन गहरी होती गई।

मोमो की शहरी आदतें और लड्डू का देसी अंदाज़, दोनों की जुगलबंदी पूरे गाँव के लिए मनोरंजन का साधन बन गई। एक दिन, गाँव के प्रधान ने पंचायत में ऐलान किया कि इस बार मेले में लड्डू और मोमो की जोड़ी को स्टेज पर परफॉर्म करने का मौका दिया जाएगा।

लड्डू ने कहा, “प्रधान जी, आप यह क्या करवा रहे हो? हम तो दुकानदारी और पढ़ाई के लोग हैं, कलाकार थोड़े ही।”

प्रधान जी बोले, “अरे, तुम दोनों के मजाक पर तो पूरा गाँव हँसता है। बस वही मंच पर करना।”

मेले के दिन स्टेज पर लड्डू और मोमो ने जमकर मस्ती की। लड्डू ने मोमो को चैलेंज दिया, “अगर तुमने यहाँ के गाँववालों को हँसाने में मुझे हरा दिया, तो मैं तुम्हें अपनी दुकान फ्री में दे दूँगा।”

मोमो बोला, “और अगर मैं हार गया, तो तुम मुझे इंग्लिश पढ़ाना शुरू करोगे।”

दोनों ने अपने-अपने मजाक शुरू किए। मोमो ने अपनी शहरी इंग्लिश का मजाक बनाते हुए कहा, “मैंने आज गाँव के कुंए को वॉटर वेल बुलाया, और कुंआ बोला, ‘भाई, मेरा नाम रामू है!'” पूरा गाँव ठहाके लगाने लगा।

लड्डू ने जवाब में कहा, “मोमो, तुमने तो अंग्रेजी सिखाई, पर मैं तुम्हें देसी सिखाता हूँ। अगर तुमने गाँव के नाम के हिसाब से किसी को पुकारा, तो कुत्ता भी हँस देगा। जैसे, अगर हमारे बैल को ‘मिस्टर बुल’ बुलाओगे, तो वह काम करने से मना कर देगा।” यह सुनकर मोमो खुद अपनी हँसी नहीं रोक पाया।

अब गाँव के लोग दोनों के मजाक से इस कदर खुश थे कि उन्होंने उन्हें गाँव का ब्रांड एम्बेसडर बना दिया। लड्डू और मोमो की जोड़ी सिर्फ मजाक ही नहीं करती थी, बल्कि गाँव की समस्याओं पर भी हल्की-फुल्की बातों के माध्यम से समाधान निकालती थी।

एक दिन, गाँव के सरकारी कुएं में पानी कम हो गया। लोग परेशान थे। लड्डू ने सुझाव दिया, “क्यों न एक हँसी का कार्यक्रम रखा जाए, जिसमें जितने ज्यादा लोग हँसेंगे, उतने ही ज्यादा बारिश के देवता खुश होंगे।” मोमो ने कहा, “और अगर बारिश न हुई, तो मैं कुएँ को ‘अल्ट्रा मॉडर्न वॉटर बॉडी’ कहकर ही पानी खींच लाऊँगा।”

गाँववालों ने यह मजाक भले ही हल्के में लिया हो, लेकिन अगले दिन बारिश हो गई। अब गाँव के लोग लड्डू और मोमो को और भी ज्यादा मानने लगे।

मोमो ने एक दिन लड्डू से कहा, “तुम्हारे गाँव में आकर मुझे यह समझ आया कि असली खुशी क्या होती है। शहर की भागदौड़ में तो हम बस चीजों को पाना सीखते हैं, लेकिन यहाँ के लोग छोटी-छोटी बातों में खुशी ढूँढते हैं।”

लड्डू ने जवाब दिया, “और मुझे तुमसे यह सीखने को मिला कि हर किसी में एक खासियत होती है। मुझे खुशी है कि तुमने गाँववालों को अंग्रेजी सिखाई और उनके आत्मविश्वास को बढ़ाया।”

लड्डू और मोमो की जुगलबंदी अब गाँव की एक पहचान बन चुकी थी। उनकी हरकतें, मजाक और काम करने का अनोखा अंदाज सबको हँसाता और सिखाता था।

एक बार गाँव में एक बड़े अधिकारी का दौरा हुआ। उन्होंने पूछा, “यहाँ के लोग इतने खुश और आत्मनिर्भर कैसे हैं?” प्रधान ने जवाब दिया, “यह सब लड्डू और मोमो की जोड़ी का कमाल है। उनके ठहाके सिर्फ हँसी तक सीमित नहीं, बल्कि जिंदगी को जीने का नया नजरिया देते हैं।”

इसके बाद, अधिकारी ने लड्डू और मोमो को सम्मानित करने का फैसला किया। एक बड़े समारोह में उन्हें मंच पर बुलाया गया और कहा गया, “आपकी जोड़ी ने यह साबित कर दिया है कि हँसी सिर्फ मजाक नहीं, बल्कि एक ताकत है जो दिलों को जोड़ती है और जीवन में नई ऊर्जा भरती है।”

लड्डू ने मंच पर खड़े होकर कहा, “अगर आप सब मेरी दुकान पर आकर कुछ खरीदें और थोड़ी हँसी-मजाक करें, तो मेरा सम्मान पूरा हो जाएगा।” और मोमो ने जोड़ा, “और अगर आप अंग्रेजी सीखनी हो, तो मेरी क्लास में आइए, लेकिन फीस में सिर्फ मुस्कान चाहिए।”

उनकी बात सुनकर पूरा हॉल ठहाकों से गूंज उठा। समारोह के बाद, लड्डू और मोमो की जोड़ी की कहानियाँ आस-पास के गाँवों में भी फैल गईं। अब हर कोई उनकी तरह जीवन को हल्के-फुल्के अंदाज में जीने की कोशिश करने लगा।

समय बीतता गया, लेकिन लड्डू और मोमो की जोड़ी का जादू कायम रहा। गाँव में जब भी कोई उदास होता, वह सीधे लड्डू की दुकान या मोमो की क्लास में पहुँच जाता। दोनों की जुगलबंदी ने यह सिखाया कि हँसी-मजाक सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि जीवन को खूबसूरत बनाने का तरीका है।

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