Video : टौणी देवी : यहां पत्थर टकराने से पूरी होती हैं मुरादें
टौणी देवी। अपना हिमाचल। इस पवित्र प्रदेश को देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है। यहां बसते हैं करोड़ों देवता और उनकी पूजा का तरीका भी अपना अपना है। इसी प्रकार की परंपरा को संजोए हुए है चौहान वंश की कुल देवी माता टौणी देवी का मंदिर। यहां पर आने वाले श्रद्धालु माता की पूजा करने के लिए पत्थरों को आपस में टकराते हैं। मान्यता है कि माता टौणी देवी को सुनाई नहीं देता है। इसलिए जो भी श्रद्धालु मंदिर में आते हैं, पूजा करते हैं या मन्नत मांगते हैं, वे यहां रखे पत्थरों को आपस में टकराते हैं। माना जाता है कि पत्थरों को टकराकर पूजा करने से माता सबकी मनोकामना पूरी करती हैं।
मान्यता है कि जब दिल्ली पर मुगलों का आधिपत्य हो गया तो उन्होंने राजपूतों की मां-बहनों पर अत्याचार करना प्रारंभ कर दिया और धर्म परिवर्तन करवाने लगे। ऐसे में चौहान वंश के 12 भाइयों ने इस पहाड़ी दुर्गम क्षेत्र में शरण ली थी। उनके साथ उनकी बहन भी थी जिसे सुनाई नहीं देता था। परिवार के मुखिया ने बाकर कुनाह व पुंग खड्ड के केंद्र पर भवन की योजना बनाई। लेकिन जहां आधारशिला रखी, वहां खून की धारा बह निकली। इस पर कुल पुरोहित से मशविरा किया गया। उन्होंने इसके लिए घर की कुंवारी कन्या को दोषी बताया। घर की महिलाओं ने माता टौणी देवी पर आरोप लगाए जिस पर क्षुब्ध माता ने इस स्थान पर घोर तपस्या की और आषाढ़ मास के 10 प्रविष्टे को अंतरध्यान हो गईं। उनकी याद में भाइयों ने यहां छोटे से मंदिर की स्थापना की जो आज भव्य रूप में विकसित हो चुका है। यहां हर साल मेले लगते हैं।
यहां है माता का मंदिर
टौणी देवी मंदिर हमीरपुर-अवाहदेवी राष्ट्रीय राजमार्ग पर है। शिमला की ओर से आने वाले श्रद्धालु हमीरपुर से होते हुए, पंजाब से आने वाले ऊना से हमीरपुर के बाद टौणी देवी पहुंच सकते हैं। इसके अलावा जम्मू से आने वाले श्रद्धालु कांगड़ा-हमीरपुर राष्ट्रीय राजमार्ग से आ सकते हैं।
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