सांस्कृतिक व्याख्यान एवं बहुभाषी कवि सम्मेलन में उपायुक्त रोहित जम्वाल ने बतौर मुख्यातिथि की शिरकत
बिलासपुर। हिमाचल संस्कृत अकादमी हिमाचल सरकार द्वारा स्वर्णिम हिमाचल उत्सव के अन्तर्गत राज्यस्तरीय नलवाड़ी महोत्सव, 2021 के उपलक्ष्य में भाषा एवं संस्कृति विभाग जिला बिलासपुर के सभागार में सांस्कृतिक व्याख्यान एवं बहुभाषी कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्यातिथि के रूप में जिला बिलासपुर के उपायुक्त रोहित जम्वाल उपस्थित रहे तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो लेखराम शर्मा पूर्व विभागाध्यक्ष गुरु नानकदेव विश्वविद्यालय अमृतसर ने की। उपायुक्त ने अपने संबोधन में कहा कि संस्कृत विश्व की सभी भाषाओं में सर्वोत्तम भाषा है। भारत की संस्कृति और सभ्यता का मूल आधार है। सरकार इसके संरक्षण एवं संवर्धन के लिए प्रयासरत हैं जिसके परिणाम स्वरूप हिमाचल में संस्कृत को दूसरी राजभाषा का दर्जा दिया गया है।
कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो लेखराम ने कहा कि बिलासपुर की संस्कृति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यहां की कहलूरी भाषा का वैदिक शब्दों के साथ अत्यन्त नजदीकी स्वरूप मिलता है। भरत मुनि के नाट्यशास्त्र का उद्धरण देते हुए उन्होंने कहा कि ‘पर्वतीयाः ऊकारप्रियाः’ अर्थात् पहाड़ी लोग उकारान्त शब्दों का प्रयोग अपनी भाषा में बहुलता से करते हैं। इस प्रकार उन्होंने कहलूरी भाषा के प्रयोग में संस्कृत की समीपता के दृष्टांत प्रस्तुत किए। जिला बिलासपुर के वरिष्ठ पत्रकार श्री कुलदीप चन्देल ने बिलासपुर का सांस्कृतिक इतिहास इस विषय पर विचार रखे तथा सेवानिवृत्त प्राचार्य डॉ लेखराम शर्मा ने भारतीय संस्कृति में जीवन दर्शन विषय पर व्याख्यान दिया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में आर टी ओ बिलासपुर श्री योगराज धीमान ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम में लगभग 50 कवियों ने संस्कृत, हिन्दी व पहाड़ी भाषा में कविता पाठ किया। जिसमें मुख्य रूप से जयनारायण कश्यप, डॉ रविन्द्र, डॉ नरोत्तम दत्त, डॉ जगदीश शर्मा, डॉ बलवीर, गोरखू राम शास्त्री, विशाल ठाकुर, अरुण डोगरा, प्रोमिला भारद्वाज, प्रतिभा शर्मा, कविता सिसौदिया, डॉ प्रशान्त आचार्य, डॉ लीलाधर वात्स्यायन, धर्मेन्द्र कुमार, रोशन लाल शर्मा, रवि सांख्यायन, सुरेन्द्र मिन्हास आदि ने कविता पाठ किया। हिमाचल संस्कृत अकादमी के सचिव डॉ केशवानंद कौशल ने उपस्थित सभी अतिथियों, वक्ताओं एवं कवियों का स्वागत एवं धन्यवाद किया।