अहोई अष्टमी : संतान की दीर्घायु कामना के लिए ऐसे रखें व्रत
पति की दीर्घायु की कामना के बाद महिलाओं के लिए अब बारी है अहोई अष्टमी का व्रत रखने की। अहोई अष्टमी व्रत संतान प्राप्ति की कामना करने के लिए और संतान की दीर्घायु के लिए किया जाता है। इस साल अहोई अष्टमी का व्रत 8 नवंबर यानी रविवार को मनाया जा रहा है। महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं और शाम के वक्त तारों को अर्घ्य देकर व्रत को पूर्ण करती हैं हालांकि कुछ स्थानों पर महिलाएं इस दिन भी चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत पूरा करती हैं। मान्यता है कि इस व्रत को करने से उन लोगों की मुराद भी पूरी होती है जो अभी संतान के सुख से वंचित हैं। अहोई अष्टमी का पर्व हर साल कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। अहोई अष्टमी के दिन अहोई माता (पार्वती) की पूजा की जाती है। इस बार अहोई अष्टमी का व्रत 8 नवंबर को रखा जाएगा।
अहोई अष्टमी का महत्व
इस दिन महिलाएं व्रत रखकर अपने संतान की रक्षा और दीर्घायु के लिए प्रार्थना करती हैं। जिन लोगों को संतान नहीं हो पा रही हो उनके लिए ये व्रत विशेष है। जिनकी संतान दीर्घायु न होती हो उनके लिए भी ये व्रत शुभकारी होता है। सामान्यतः इस दिन विशेष प्रयोग करने से संतान की उन्नति और कल्याण भी होता है। ये उपवास आयुकारक और सौभाग्यकारक होता है।
कैसे रखें इस दिन उपवास?
प्रातः स्नान करके अहोई की पूजा का संकल्प लें। अहोई माता की आकृति, गेरू या लाल रंग से दीवार पर बनाएं। सूर्यास्त के बाद तारे निकलने पर पूजन आरम्भ करें। पूजा की सामग्री में एक चांदी या सफेद धातु की अहोई, चांदी की मोती की माला, जल से भरा हुआ कलश, दूध-भात, हलवा और पुष्प, दीप आदि रखें। पहले अहोई माता की रोली, पुष्प, दीप से पूजा करें और उन्हें दूध भात अर्पित करें। फिर हाथ में गेहूं के सात दाने और कुछ दक्षिणा (बयाना) लेकर अहोई की कथा सुनें। कथा के बाद माला गले में पहन लें और गेहूं के दाने तथा बयाना सासु मां को देकर उनका आशीर्वाद लें। अब तारों को अर्घ्य देकर भोजन ग्रहण करें।
संतान का सुख पाने के लिए
संतान का सुख पाने के लिए इस दिन अहोई माता और शिव जी को दूध भात का भोग लगाएं। चांदी की नौ मोती लेकर लाल धागे में पिरो कर माला बनायें। अहोई माता को माला अर्पित करें और संतान को संतान प्राप्ति की प्रार्थना करें। पूजा के उपरान्त अपनी संतान और उसके जीवन साथी को दूध भात खिलाएं। अगर बेटे को संतान नहीं हो रही हो तो बहू को , और बेटी को संतान नहीं हो पा रही हो तो बेटी को माला धारण करवाएं।