शगुन के लिफाफे में क्यों देते हैं एक रुपये का सिक्का, जानिये वजह

किसी भी शादी समारोह या अन्य कार्यक्रम में जब आप जाते हैं तो साथ में गिफ्ट और एक लिफाफा होता है। इस लिफाफे को शगुन का लिफाफा कहते हैं। इसमें हर कोई अपनी हैसियत के हिसाब से 100, 250, 500, 1000 या इससे भी अधिक रुपये रखता है। लेकिन, इन सबके साथ एक रुपये का सिक्का या नोट जरूर लगा होता है। बाजार में लिफाफे खरीदने जाएं तो उसमें पहले से ही एक रुपये का सिक्का चिपका होता है। अब सवाल यह उठता है कि यह एक रुपये का सिक्का क्यों जरूरी है।
कोई शादी हो या जन्मदिन अथवा कोई अन्य कार्यक्रम आपने देखा होगा कि हर कोई शगुन में 101, 251, 501, 1001 रुपये ही देता है। जितने भी पैसे दें, उसमें एक रुपए जोड़कर ही दिया जाता है, लेकिन कभी आपने सोचा है कि ऐसा क्यों होता है। वैसे तो इसके पीछे कोई खास और महत्वपूर्ण तथ्य नहीं है। अधिकतर लोग सिर्फ परंपरा के हिसाब से ही ऐसा करते हैं। यानी लोग हमेशा से करते आ रहे हैं तो अब लोग इसे फॉलो करते हैं। हालांकि, आचार्य कैलाश चंद्र सेमवाल का कहना है कि इसमें अगर रिसर्च की जाए तो कई तरह की चीजों से इस परंपरा को जोड़ा जाता है।
शुभ-अशुभ का भी है कनेक्शनः अक्सर लोगों का मानना होता है कि किसी भी रकम में जीरो आने पर वो अंतिम हो जाता है। उसी तरह अगर रिश्ते में जीरो के आधार पर नेग देते हैं तो वो रिश्ता खत्म हो जाता है। ऐसे में एक रुपेय बढ़ाकर दिया जाता है।जीरो के अलावा हर अंक का सबसे कनेक्शन है। जैसे सात का सप्तऋषि, नौ का नौदेवी या नौग्रह आदि से है। इस वजह से जीरो को शुभ नहीं मानकर इसमें एक रुपये जोड़ दिया जाता है।
शुभ-अशुभ का भी है कनेक्शनः अक्सर लोगों का मानना होता है कि किसी भी रकम में जीरो आने पर वो अंतिम हो जाता है। उसी तरह अगर रिश्ते में जीरो के आधार पर नेग देते हैं तो वो रिश्ता खत्म हो जाता है। ऐसे में एक रुपेय बढ़ाकर दिया जाता है।जीरो के अलावा हर अंक का सबसे कनेक्शन है। जैसे सात का सप्तऋषि, नौ का नौदेवी या नौग्रह आदि से है। इस वजह से जीरो को शुभ नहीं मानकर इसमें एक रुपये जोड़ दिया जाता है।