शिमला, मंडी, लाहौल-स्पीतिहिमाचल

लोगों का मन मोह रही है प्रदर्शनीया

मंडी । मंडी में स्वर्णिम अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में सजी री-लिव दी पास्ट प्रदर्शनी मेले में आने वालों को अनायास ही अपनी ओर खींच रही है। इंदिरा मार्केट की छत पर सजी इस प्रदर्शनी का आकर्षण कुछ ऐसा है कि इसे देखने रोजाना लोग उमड़ रहे है। प्रदर्शनी का जादू लोगों के सिर चढ़ कर बोल रहा है। लोग इसे खूब पसंद तो कर ही रहे हैं  और जिला प्रशासन की इस पहल की तारीफ करते नहीं थक रहे।बता दें, जिला प्रशासन ने मंडी जिला की विरासत व अतीत को प्रदर्शित करने के लिए री-लिव दी पास्ट प्रदर्शनी आयोजित की है। ऐसे प्रयास किए हैं कि जब लोग इस प्रदर्शनी में आएं तो अपने समृद्ध इतिहास और अतीत से उनका एक कनेक्ट स्थापित हो। लोगों को पहाड़ी रहन-सहन, पहनावा, खान-पान, जीवन शैली, मंडी की पुरातन कला, संस्कृति, इतिहास से रूबरू करवाने के विशेष प्रयास किए हैं।



यादों के गलियारे से गुजरने का अनुभव* नेला वार्ड के धन राज ठाकुर ने प्रदर्शनी देखने के बाद अपने भाव साझा करते हुए कहा कि री-लिव दी पास्ट उनके लिए पुरानी यादों के गलियारों से गुजरने जैसा अनुभव रहा। प्रदर्शनी में पहाड़ी जीवन शैली से जुड़ी वस्तुएं देख उन्हें अपने बचपन के दिन याद आ गए। वहीं निहरी की हर्ष लता और बिलासपुर की दिक्षा का कहना था प्रदर्शनी में पुराने गहने और अलग अलग क्षेत्रों का पुराना पहनावा और ड्रेसेज देखना उनके लिए बड़ा रोचक अनुभव रहा। मंगवाई के दिलशांत को मंडी के पुराने फोटोग्राफ्स मनमोहक लगे । उनका कहना था कि अपने गौरवशाली अतीत को तस्वीरों में सहेजने और प्रदर्शित करने का यह प्रयास वाकई शानदार है। पैलेस कॉलोनी के पवन कुमार पुराने सिक्के, अखबारों की पुरानी कतरनें और खड्डी का काम देखने में बड़ी रूचि आई। वहीं मंडी की मनीषा का कहना था कि उनके लिए गांव देहात में मनाई जाने वाली पारंपरिक शिवरात्रि का स्वरूप भाव विभोर करने वाला अनुभव रहा। उन्हें महिलाओं को पराली की चटाई बुनते और पत्तल बनाते देखना बड़ा आनंददायक लगा। कुल्लू के प्रेम कुमार को मिट्टी के बर्तन बनाने वाला चाक घूमाने में बड़ा मजा आया। हमीरपुर के विक्रांत को देवताओं के मुखौटे और वाद्य यंत्र देखना और जानना बड़ा रूचिकर लगा। वहीं कांगड़ा की प्रिया का कहना था कि  प्रदर्शनी में मंडी कलम की चित्रकारी ने उनका मन मोह लिया। इस मौके पर बहुतों ने प्रदर्शनी में पर्यटन विकास निगम की स्टॉल में पारंपरिक व्यंजनों का भी लुत्फ लिया। उपायुक्त ऋग्वेद ठाकुर का कहना है कि इस प्रदर्शनी के जरिए प्रयास है कि तकनीक के युग में भी अपने समृद्ध इतिहास व संस्कृति से हमारा भावनात्मक जुड़ाव और मजबूत हो और भविष्य की पीढ़ी भी इसे जाने और इससे जुड़े।



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