स्वरोजगार : 95 फीसदी सबसिडी दे रही सरकार, जानिये क्या है योजना
शिमला। प्रदेश के बेरोजगार युवाओं के लिए सूअर पालन स्वरोजगार का एक अच्छा अवसर बन सकता है। सूअर इकाई स्थापित करने पर आने वाले कुल लागत का सिर्फ पांच प्रतिशत खर्च कर युवा सूअर पालन शुरू कर सकते हैं। बाकी बची 95 प्रतिशत कीमत सरकार की ओर से सबसिडी के दौर पर युवाओं को प्रदान की जाती है। प्रदेश में राष्ट्रीय पशुधन मिशन के अंतर्गत लोगों को आजीविका के स्थायी अवसर प्रदान करने के लिए विभिन्न कदम उठाए गए हैं। एनएलएम के अंतर्गत ग्रामीण पोल्ट्री, भेड़, बकरी, सूअर पालन व नस्ल सुधार के साथ-साथ इनके लिए उत्तम चारे की व्यवस्था पर विशेष बल दिया जा रहा है। प्रदेश सरकार राज्य के लोगों को आजीविका के अवसर प्रदान करने पर विशेष बल दे रही है।
पशुधन हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रदेश सरकार ने पशुधन उत्पादन में गुणात्मक सुधार सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न पहल की हैं। इस दिशा में ठोस कदम उठाते हुए हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में सूअर पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रदेश के युवाओं के लिए आजीविका के वैकल्पिक अवसर उपलब्ध करवाने के दृष्टिगत राज्य सरकार द्वारा ग्रामीण बैकयार्ड विकास योजना का सफल क्रियान्वयन किया जा रहा है। इस केंद्र प्रायोजित योजना के अंतर्गत बीपीएल परिवार से संबंधित सूअर पालकों को 95 प्रतिशत सबसिडी प्रदान की जा रही है, जिसमें 90 प्रतिशत हिस्सेदारी केंद्र तथा पांच प्रतिशत प्रदेश सरकार द्वारा वहन की जा रही है। सूअर पालकों को 95 प्रतिशत सबसिडी पर तीन मादा और एक नर सूअर प्रदान किए जाते हैं। योजना के अंतर्गत लाभार्थी को कुल लागत की केवल पांच प्रतिशत की राशि ही वहन करनी पड़ती है। वहीं वर्ष 2019 में करवाई गई 20वीं पशुधन गणना के अनुसार प्रदेश में 2124 सूअर हैं। वर्ष 2019-20 में प्रदेश सरकार द्वारा 3.39 लाख रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान की गई और पात्र लाभार्थियों को 20 सूअर इकाइयां वितरित की गई। वर्ष 2021-22 में 397.95 लाख रुपए व्यय कर 1995 सूअर इकाइयां स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।