कोविड-19 मरीज के शव से ऐसे नहीं रहता कोरोना फैलने का खतरा
कुल्लू। क्षेत्रीय अस्पताल के एमडी मेडिसिन डाॅ. कल्याण ने कहा कि समाज में कोरोना के प्रति कुछ अति भ्रांतियां हैं, जिनसे बाहर निकलना जरूरी है। वह कुल्लू अस्पताल में शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर द्वारा चिकित्सकों के साथ आयोजित परस्पर संवाद कार्यक्रम के दौरान बोल रहे थे।डाॅ. कल्याण ने कहा कि कोरोना महामारी ने सामाजिक संवेदनाओं पर भी विपरीत प्रभाव डाला है। ऐसे मामले देखने को मिल रहे हैं जहां कोविड-19 के मृतक को उसके अपने घर परिवार के लोग दूर से देखना तक पसंद नहीं करते। लोगों में डर है कि कहीं उन्हें कोरोना न हो जाए। डाॅ. कल्याण ने स्पष्ट किया कि कोरोना पाॅजिटिव मृतक शरीर को बहुत अच्छे से सेनेटाईज किया जाता है। इसके उपरांत प्लास्टिक कवर में लपेटा जाता है जिससे मृतक के शरीर का कोई भी कीटाणु बाहर नहीं आ पाता। उसका चेहरा प्लास्टिक शील्ड से कवर किया जाता है ताकि परिजन अंतिम दर्शन कर सकें। यही नहीं, डाॅ. कल्याण का कहना है कि मृतक के समीप जा सकते हैं और उसे हाथ भी लगा सकते हैं।
डाॅ. कल्याण ने कहा कि शव यात्रा के दौरान अच्छे से मास्क लगाकर रखें, बार-बार हाथ धोएं और सामाजिक दूरी की अनुपालना करें। कोरोना का यही एकमात्र सुरक्षित प्रोटोकोल है जिसका घर से बाहर सभी स्थानों पर प्रत्येक व्यक्ति को पालन करना है। मास्क की सार्थकता पर बल देते हुए उनका कहना है कि वह हर रोज अनेक ऐसे मरीजों का चैक-अप करते हैं जो कुछ घण्टे बाद ही पाॅजिटिव आ जाते हैं, लेकिन मास्क के अच्छे से प्रयोग तथा बार-बार हाथों की सफाई के कारण उन्हें कोरोना संक्रमण नहीं हो पाया। उन्होंने कहा कि बाहर हर कहीं पर कोई न कोई व्यक्ति कोरोना पाॅजिटिव अवश्य घूम रहा है जिसने अभी तक जांच नहीं करवाई है अथवा उसे लक्षण नहीं हैं। यदि आप अच्छे से मास्क का प्रयोग नहीं कर रहे हैं तो उस व्यक्ति से संक्रमण आप तक पहंुच सकता है।उन्होंने लोगों से अपील की है कि कोरोना को लेकर अनावश्यक भ्रांतियों पर विश्वास न करें। यदि किसी प्रकार की शंका हो तो चिकित्सीय परामर्श लें। कोरोना पाॅजिटिव मृतक का परिजन सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार करें। अग्नि के सम्पर्क में आने के बाद अवशेष में किसी प्रकार के कीटाणु नहीं रह जाते हैं। अस्थियों को बिना किसी भय के एकत्र कर सकते हैं।