कांगड़ा, किन्नौर, कुल्लूहिमाचल

कुल्लू की खुशबु का राज्य स्तरीय इण्टर काॅलेज फेस्टिबल में अविस्मरणीय प्रदर्शन

कुल्लू। ‘होनहार वीरवान के होत चिकने पात।’ यह कहावत कुल्लू की पंडित खुशबु भारद्वाज पर यथार्थ बैठती है। छोटी आयु में ही स्कूली स्तर पर गायिकी का शौक था। गांव में, शहर में जहां कहीं पर भी कोई उत्सव होता, खुशबु गाने के लिये हमेशा सबसे आगे रहती। खुशबु ने अनेक मंचों पर अपनी गायिकी का लोहा मनवाया है। वह विशेषकर कुल्लवी गाने गाती है। हिंदी और पहाड़ी के साथ संस्कृत में भी उसे गाने की महारत हासिल है।

खुशबु ने हाल ही सुंदरनगर में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय इंटर काॅलेज फेस्टिवल में गायत्री काॅलेज ऑफ एजुकेशन का प्रतिनिधित्व करके लोक गायिकी में पहला स्थान हासिल कर काॅलेज के साथ कुल्लू का नाम रोशन किया है। वह गर्व के साथ कहती है कि कुल्लवी गायिकी में जो लय, रस और संस्कार है, उसका कोई मुकावला नहीं। खुशबु कुल्लू दशहरा जैसे बड़े मंचों पर अपनी गायिकी से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर चुकी है। इसके अलावा भी अनेक जिलों में खुशबु ने अपनी कुल्लवी प्रस्तुति से जिला की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर से लोगों को परिचित करवाया है। खुशबु कहती है कि हमें अपनी संस्कृति से प्यार करना चाहिए। इसे सर्वोपरी बनाए रखने के लिये हर संभव प्रयास करने चाहिए।

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