देश-दुनिया
कविता : जो घर-घर फहरे राष्ट्रीय झंडा
जो हर दिल में बसा तिरंगा होगा
ना किसी का किसी से पंगा होगा
जीत सकेगा ना फिर कोई दुश्मन
ना देश में फिर कभी दंगा होगा
तो नहीं उठेगा आपस में डंडा
जो घर-घर फहरे राष्ट्रीय झंडा
देश गान जब बसेगा जन-मन में
राष्ट्र धुन जब रमेगा जन-जन में
रोम रोम सभी का पुलकित होगा
प्रीत ठसा रहेगा जन गण मन में
तो नहीं झगड़ेंगे मौलवी-पंडा
जो घर-घर फहरे राष्ट्रीय झंडा
आजादी अमृत है विष गुलामी
ध्वज भरे हृदय में शौर्य सुनामी
हो रग में सबके अपने झंडे का
असीम गगन जैसा मान अगामी
तो बंटेगा देश ना एकड़ मंडा
जो घर-घर फहरे राष्ट्रीय झंडा
-डॉ एम डी सिंह