प्रवचन : समाज को संस्कारों से पोषित करना होगा : भाग्यश्री
शिमला। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा स्थानीय क्योन्थल बैंकट हॉल खलीनी,शिमला में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस श्री अनिल शर्मा जी के परिवार ने पूजन में हिस्सा लिया।कथा व्यास साध्वी सुश्री भाग्यश्री भारती जी ने अपने प्रवचनों अजामिल भक्त की गाथा को भक्तों के सामने रखते हुए कहा कि कि जब एक व्यक्ति सच्चे मन से प्रायश्चित करता है। अपने द्वारा किए गए पाप कर्मों की प्रभु के समक्ष क्षमा याचना करता है तो प्रभु अवश्य प्रसन्न होते हैं।
साध्वी जी ने समाज के की दशा का वर्णन करते हुए कहा कि आज समाज संस्कारों के अभाव में विनाश की ओर अग्रसर हो रहा है।अगर हम एक स्वस्थ एवं सुदृढ़ समाज का निर्माण करना चाहते हैं तो सर्वप्रथम हमें इस समाज को संस्कारों से पोषित करना होगा।गुरु की महानता के विषय में बताते हुए साध्वी जी ने कहा कि अगर हम परमात्मा को पाना चाहते हैं तो हमें एक पूर्ण गुरु की आवश्यकता है।जब एक जीव परमात्मा की खोज में निकलता है तो वह सीधे परमात्मा को कभी भी प्राप्त नहीं कर पाया। केवल गुरु ही हैं जो जीव और परमात्मा के मध्य एक सेतु का कार्य करते हैं।
परमात्मा जो अमृत का सागर है किंतु मानव उस अमृत पान से सदा वंचित रह जाता है।पिपासु मनुष्य तक मेघ बनकर जो अमृत की धार पहुंचाता है वह सतगुरु ही हुआ करते हैं। सतगुरु से संबंध हुए बिना ज्ञान नहीं हो सकता। गुरु ही इस संसार रूपी भवसागर से पार उतारने वाले हैं।उनका दिया हुआ ज्ञान नौका के समान बताया गया है। कथा में एडवोकेट हाई कोर्ट भुवनेश शर्मा, मुकुंद शांडिल एवं चेतराम शर्मा ने मंगलमय आरती में हिस्सा लिया।कथा में संत समाज द्वारा सुमधुर भजनों का गायन किया गया।स्वामी धीरानन्द जी ने बताया की कथा में प्रतिदिन आध्यात्मिक तत्व को प्रभु भक्तों को प्रदान किया जा रहा है।