साहित्य एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में मौन साधक हितेन्द्र शर्मा

तटस्थ रह कर नदियों को मार्ग देना,, नदियों अर्थात राहियों को उद्गम से लेकर मंज़िल तक मौन रह ले जाना तट ही जानता है कि कितना मुश्किल है,, वेगधारक नदी बहुत बार मंज़िल तक पहुँचने की जल्दी में अपने संरक्षक तटरक्षक तट को भी छिन्नभिन्न करने की मति से पीछे नहीं हटती,, और तट धायल होकर भी धैर्य धारण कर,, स्वयं को साध चुपचाप मौन धारण किये ऋषि की तरह अपना कर्तव्य वहन करता जाता है,,, और ऐसा ही तटस्थ व्यक्तित्व जो मेरे सम्पर्क में आया,, वह हैं,, शिमला जिला की एक तहसील कुमारसैन के गॉंव किंगल से,, लेखक,, कवि,,पत्रकार,, और सम्पादक हितेन्द्र शर्मा।
हितेन्द्र शर्मा ,, राज्यस्तरीय ” शंखनाद मीडिया विशिष्ट सम्मान 2021 ” से अलंकृत हैं,, और यह सम्मान उन्हें उनके कृतत्व के लिए,, निष्ठा के लिए एवं समर्पण की भावना से कार्य करने के लिए, प्राप्त हुआ है,,, वह हिमाचल प्रदेश की कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी के सदस्य हैं,,, अपने पद का निर्वहन करते हुए उन्होंने हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी शिमला,, हिमाचल प्रदेश के प्रतिदिन प्रसारित होने वाले कार्यक्रम ” साहित्य कला संवाद ” के संयोजक एवं सम्पादक के रूप में इस कार्यक्रम को सफलता के शीर्ष पर लाकर खड़ा कर दिया और देश विदेश तक इस कार्यक्रम को देखा जाने लगा सराहा जानें लगा,, यह लोकप्रियता के नये आयाम स्थापित कर गया. छात्र जीवन से ही लेखन के क्षेत्र में सक्रिय रहे हितेन्द्र शर्मा नें बी सी ए की शिक्षा के दौरान अनेक साप्ताहिक व दैनिक समाचार पत्रों में संवाददाता के रूप में कार्य निर्वहन प्रारम्भ कर दिया. रचनात्मक लेखन में इनकी विशेष रुचि रही. लगभग सात आठ बर्षों तक निजी विद्यालयों/संस्थानों में अध्यापन कार्य करने के उपरांत, सूचना एवं तकनीकी क्षेत्र के विभिन्न संस्थानों के साथ कार्य किया और अब भी यह सफर जारी है तथा हिमालयन डिजिटल मीडिया के मुख्य सम्पादक के कार्य का कुशलता से कार्य संचालन कर रहे हैं.
लोक संस्कृति के हितार्थ हितेन्द्र शर्मा के प्रयास
शिमला की खूबसूरत वादियों में स्थित कुमारसैन तहसील के किंगल गाँव के साधारण किसान परिवार में पिता श्री चन्द्रमोहन व माता श्रीमती प्रोमिला शर्मा के पुत्र हितेन्द्र शर्मा का जन्म 19 मई 1980 में हुआ था. हितेन्द्र शर्मा लोक संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन,, हिन्दी साहित्य के प्रति युवा रचनाकारों,, विद्यार्थियों, महिलाओं को सजग एवं प्रोत्साहित करने,, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने तथा विलुप्तता के कगार पर खड़ी लोक व देव संस्कृति को सहेजने के लिए प्रयासरत हैं. वो इस के लिए लोक कलाकारों,, लोक गायकों,, लोकनाट्य के ज्ञाताओं,, देव संस्कृति के जानकारों उसका संरक्षण संवर्धन में रत व्यक्ति विशेषों से सम्पर्क साधते हैं और उनकी भागेदारी से इन विधाओं के ज्ञात भण्डार को सहेजते हैं. वर्तमान में हिमालयन डिजिटल मीडिया पर इस प्रकार के विद्वानों के साथ संवाद लाइव या रिकॉर्डिड प्रसारित कर वो भूरिश: प्रयत्न कर रहे हैं. उनके पिता जी सामाजिक सरोकारों के प्रति सजग थे और इन्हीं गुणों के आधार पर पंचायत प्रधान भी रहे. यद्यपि वटवृक्ष जैसे माता- पिता का साया अब हितेन्द्र शर्मा के सर पर नहीं है,, तथापि इन सामाजिक सरोकारों के प्रति सजगता उन्हें विरासत में मिली है और वे परम्परा का निर्वहन बखूबी कर रहे हैं.
कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी हिमाचल प्रदेश के सदस्य
वर्तमान में हितेन्द्र शर्मा, कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी हिमाचल प्रदेश के मनोनीत सदस्य हैं,, इस पद की गरिमा के अनुसार हृदय से हिमाचली लोक कला,, प्रथा,, साहित्य व संस्कृति,, गायन वादन व नाटी गिद्धा नृत्य ,, देव संस्कृति,, लोकनाट्य का पोषण , संरक्षण एवं प्रचार – प्रसार कर रहे हैं,, स्थान स्थान पर जा कर वीडियोग्राफी कर जन माध्यम से जानकारियां प्राप्त कर संरक्षण कर रहे हैं , समसामयिक सरोकारों के प्रति जन जागरण का कार्य निष्पादन कर रहे हैं. इनके व्यक्तित्व एवं कृतत्व में उनके माता पिता की झलक साफ दिखाई देती है .
आकाशवाणी से जुड़ाव
जननी से जुड़ाव गर्भनाल से पृथक होने के बाद और अधिक हो जाता है,, हितेन्द्र शर्मा नें मातृत्व को हृदय से सुना है,, माता के स्वर्गवास के बाद भी माता के प्यार का कलरव अब भी उनके कानों में गूंजता है मुख से मुखरित होता है और कलम से बहता है,, माता श्री को समर्पित अपनी कविता और संग्रह ” माँ– जीना सिखा दिया ” से उन्होंने साहित्य जगत में पदार्पण किया और अजस्र धारा बहा डाली. इनकी काव्य रचनाएँ ” अम्मा कहती थी ” ,,, ” साहित्य समर्पण ” ,, काव्य संरचना ” एवं ” साहित्यनामा ” जैसे विभिन्न साझा काव्य संकलनों में प्रकाशित हुई हैं. हितेन्द्र शर्मा की रचनाओं का पाठ आकाशवाणी शिमला से प्रसारित हुआ है. इनकी रचनाएँ और आलेख विभिन्न दैनिक व साप्ताहिक समाचार पत्रों पत्रिकाओं , गिरिराज, हिमप्रस्थ, सोमसी सहित प्रतिष्ठित साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक पत्र पत्रिकाओं में नियमित रूप से प्रकाशित होती रही हैं व प्रकाशित हो रही हैं,, अब आधुनिक अंतर्जाल माध्यम में भी हितेन्द्र शर्मा जी अपनी उपस्थिति बनाये हुए हैं.
साहित्य कला संवाद के 772 एपिसोड का रिकॉर्ड
साहित्य सृजन में रत हितेन्द्र शर्मा नें कला संस्कृति भाषा अकादमी के तत्वावधान में, साहित्य कला संवाद का आद्योपांत संयोजन व सम्पादन कार्य किया,, रिकॉर्ड 772 एपिसोड का लाइव प्रसारण का रिकॉर्ड बना और अथाह जानकारियाँ इस कार्यक्रम के माध्यम से दर्शकों तक पहुँचीं, जो कला संस्कृति भाषा अकादमी की एक धरोहर बनी और सदैव दर्शकों, साहित्यकारों और शोधार्थियों के लिए यू-ट्यूब पर सुरक्षित हैं तथा सदैव उपलब्ध रहेंगी,, इन कड़ियों में न केवल हिंदी बल्कि हिमाचली भाषा में भी उत्कृष्ट सामग्री संग्रहीत हुई,, साहित्य के अतिरिक्त नाटक, लोकनाट्य,लोकसंगीत, नृत्य व चित्रकला जैसे क्षेत्रों के दिग्गजों से साक्षात्कार हुये व इन विधाओं के संरक्षण व संवर्धन का कार्य हुआ,, विलुप्त प्रायः टांकरी भाषा पर कार्यशालाओं का आयोजन हुआ. इस श्रृंखला के 700 वें एपिसोड का मैगाप्रसारण लगभग पांच धंटे मैराथन रूप में हुआ,, इन साहित्य संवाद कार्यक्रमों से जुड़े प्रतिष्ठित साहित्यकारों एवं समालोचकों ने इन कार्यक्रमों की समीक्षा की एवं भूरिशः प्रशंसा की,, सभी नें मुक्तकंठ से निर्बाध रूप से इस श्रृंखला को जारी रखने का आग्रह किया और सहयोग की इच्छा प्रकट की तथा सहयोग करने का प्रण भी लिया,, पर ईश्वरेच्छा से यह संकल्प अधूरा रह गया व कला संस्कृति भाषा अकादमी के नीतिगत निर्णयों नें इन कार्यक्रमों पर विराम लगा दिया.
ऐसी चुनौती के समक्ष आने पर भी हितेन्द्र शर्मा हतोत्साहित नहीं हुए और दर्शकों , साहित्यकारों की इच्छा का मान रखते हुए निजी क्षेत्र में हिमालयन डिजिटल मीडिया के माध्यम से यह संवाद जारी रखने का निर्णय लिया एवं निशिदिन मेहनत कर इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाया. हिमालयन डिजिटल मीडिया पर अब तक लगभग 135 एपिसोड्स का सफल प्रसारण हो चुका है एवं यह सफर जारी है. सरकारी क्षेत्र की नीतिगत बाध्यता न होने के कारण कार्यक्रमों में और भी निखार आया और देश विदेश के साहित्य, नाटक, शिक्षा व सिने जगत अनेक प्रतिष्ठित महान व्यक्तित्वों,, विभूतियों नें अपने अनुभवों को साझा किया. संस्कृत भाषा के नित्य प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए समाचारों का प्रसारण आरम्भ किया.
हितेन्द्र शर्मा जी का इस सम्बन्ध में कहना है कि साहित्य कला संवाद कार्यक्रम का प्रारम्भ उनके जीवन का एक बेहतरीन अनुभव रहा. लॉक डाऊन के दौरान कला संस्कृति भाषा अकादमी हिमाचल प्रदेश के सचिव डॉक्टर कर्म सिंह जी के समक्ष जब उन्होंने एक ऑनलाइन कार्यक्रम का प्रस्ताव रखा, तो डॉक्टर कर्म सिंह जी ने उस प्रस्ताव को गम्भीरता व धैर्य से सुना और पूरी रुचि दिखाते हुए कार्यक्रम से सम्बन्धित सभी पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की. अकादमी सचिव का उन्हें फोन आया,, जिन्होंने कहा यदि सम्भव हो तो आप ” साहित्य कला संवाद ” शीर्षक से अकादमी के कार्यक्रम का संचालन ऑनलाइन कर सकते हैं.
फेसबुक पेज और यू-ट्यूब चैनल की शुरुआत
हितेन्द्र शर्मा जी के अनुसार ” कोरोना काल नें हमें एक अवसर भी प्रदान किया,, हमनें चुनौतियों को अवसर में बदलने के लिए सोशलमीडिया का सदुपयोग किया. हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी के नाम से फेसबुक पेज एवं यू-ट्यूब चैनल का निर्माण किया गया,, कार्यक्रम के प्रसारण का माध्यम तैयार करने के उपरांत कार्यक्रम की रूपरेखा, प्रसारण का समय, कार्यक्रम का नियंत्रण, कला एवं साहित्य प्रेमी दर्शकों तक पहुँचाने की रणनीति को हमनें मात्र दस -बारह घंटों के भीतर तय किया. सकारात्मक ऊर्जा और पूर्ण विश्वास के साथ, साहित्य कला संवाद कार्यक्रम का आगाज़ रविवार 24 मई 2020 को शाम 7.00 बजे किया गया. फेसबुक लाइव के माध्यम से अकादमी का यह प्रथम प्रयास बेहद सफल रहा. ”
वास्तव में इस कार्यक्रम की सफलता हितेन्द्र शर्मा की सहज उपलब्धता, निष्पक्षता एवं तत्परता रही है,, यह मेरा उनके साथ कार्य करते हुए अनुभव रहा कि वो सदैव उपलब्ध रहे तत्पर रहे और कर्तव्य निर्वहन में उनके मुख से कभी इंकार नहीं निकला न व्यवहार में कभी तल्ख़ी आई.
बेहद रोचक व ज्ञानवर्धक सफर
हितेन्द्र शर्मा जी आगे बताते हुए कहते हैं कि कला, साहित्य, लोकसंस्कृति से जुड़े हुए तमाम लोगों सहित युवाओं हमें विशेष सहयोग निरंतर प्राप्त हुआ व अब भी प्राप्त हो रहा है. यद्यपि अब यह कार्यक्रम हिमालयन डिजिटल मीडिया पर जारी हैं तब भी सभी का उत्साह व सहयोग देखते ही बनता है व जारी है. साहित्य कला शिक्षा व जन संवाद के कार्यक्रम का सफर बेहद रोचक एवं ज्ञानवर्धक है. कला संस्कृति, साहित्य, दर्शन, राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय समसामयिक विषयों एवं अनेकों सामाजिक पहलुओं को छूते हुए यह सिलसिला निरंतर अपनी आगामी उपलब्धियों की ओर बढ़ता चला जा रहा है.
अनेक महान विभूतियों से संवाद के अवसर
माननीय शिक्षा, भाषा संस्कृति मंत्री गोविन्द सिंह ठाकुर, माननीय तकनीकी शिक्षा मंत्री डॉक्टर रामलाल मार्कण्डेय, पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार, सांसद किशन कपूर, स्पैशल ओलंपिक की अध्यक्षा डॉक्टर मल्लिका नड्डा, भारतीय कबड्डी टीम के कप्तान रहे अजय ठाकुर, सुप्रसिद्ध अभिनेता अनुपम खेर, मेजर जनरल जी डी बख़्शी जैसे अनेक दिग्गजों नें हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी के इस मंच से अनेक विषयों पर अपने बहुमूल्य विचार रखे और अकादमी के कार्यक्रमों की सराहना करते हुए हमें अपना आशीर्वाद प्रदान किया.
यह सफर हिमालयन डिजिटल मीडिया में भी जारी है,, अभी तक हुए लगभग 135 कार्यक्रमों में,, सेवानिवृत्त एडिशनल डॉयरेक्टर जनरल दूरदर्शन श्रीयुत राजशेखर व्यास जी,, के के बिरला के प्रतिष्ठित ” व्यास पुरुस्कार ” से सम्मानित प्रोफेसर शरद पगारे जी,,, पद्मश्री विद्यानंद सरैक,,, प्रोफेसर देवदत्त शर्मा जी , वाईसचांसलर सरदार पटेल यूनिवर्सिटी मंडी, हिमाचल प्रदेश,, प्रसिद्ध रंगकर्मी एवं फिल्म निर्देशक अंजनी कुमार जी,, वरिष्ठ रंगकर्मी,, अभिनेता, निर्देशक युवराज शर्मा,,, प्रसिद्ध रंगकर्मी एवं फिल्म अभिनेता रघुवीर यादव,, प्रसिद्ध रंगकर्मी,, फिल्म अभिनेता डॉक्टर राजन कुमार,,, प्रसिद्ध रंगकर्मी एवं विज्ञानी प्रोफेसर मनोहर खुशलानी जी,, प्रोफेसर पद्मनाभ गौतम जी,, डॉक्टर राधावल्लभ शर्मा जी,, अनुकृति रंगमंडल कानपुर के संस्थापक डॉक्टर ओमेन्द्र कुमार जी,, डॉक्टर शैलेश तिवारी जी उत्तराखण्ड से,,डॉक्टर कर्म सिंह जी सचिव कला संस्कृति भाषा अकादमी हिमाचल प्रदेश,, डॉक्टर कृष्ण मोहन पाण्डेय जी,, दक्षा शर्मा जी,, दीप्ति सारस्वत जी,,शिवा पंचकरण जी,, हीरा सिंह कौशल जी, श्रीकांत अकेला जी,,श्री आर एल शर्मा जी,, ओंकार नाथ जी,, उपन्यासकार गंगाराम राजी जी,, कृष्ण चंद महादेविया जी, डॉक्टर प्रत्यूष गुलेरी जी,, डॉक्टर सुशील कुमार फुल जी,, श्रीनिवास जोशी जी,, श्री हिमेन्द्र बाली जी,, नरेश गुर्जर जी, दीप्ति सारस्वत जी,, संजीव अरोड़ा जी,, सुरेश दक्ष शुक्ला जी,, सेवा निवृत्त प्रिसिंपल कॉलेज केडर एस आर कौशल जी,, आनंद सोहर जी,, वीरेन्द्र भाटिया जी, सम्पादक अर्थ बिम्ब प्रकाशन,, प्रियंका वैद्य जी,, भरत कुमार गुप्ता जी,, पदम चंद प्रेमी जी,, शशि सिंह जी,, नैंसी शर्मा जी,, सरोज परमार जी,, त्रिलोक मेहरा जी,, डॉक्टर गणेश गनी जी,, सीता राम शर्मा जी,, विद्यानिधि छाबड़ा जी,, रंजीता सिंह फलक जी,, सतीश रतन जी,, हीरा सिंह चौहान जी,, प्रसिद्ध फिल्म निर्माता निर्देशक संजय सूद जी,, दीपक शर्मा जी,, ललित जी,, हरदीप सभरवाल जी,, सुरेन्द्र शर्मा शिव जी,, वरुण शर्मा जी,, प्रेक्षा शर्मा जी,, हर्ष अबरोल,,रमेश मस्ताना जी,, चंदन आनंद जी,, गोबिंद गौरव जी,, नासिर युसुफ़ज़ई जी,, हेमराज राणा जी,, अभिषेक तिवारी जी,, डॉक्टर हरिसुमन बिष्ट जी,, अंजु आनंद जी,, बालकृष्ण सोनी जी,, काव्य वर्षा जी,, देवदत्त शर्मा जी,, डॉक्टर अनीता शर्मा जी,, प्रताप जरयाल जी,, अर्चना शर्मा जी,, डॉक्टर प्रशांत आचार्य जी,, डॉक्टर सुरेन्द्र सुमन जी,, शिव कुमार गर्ग जी,, लखविंदर सिंह जी,, प्राची जी,, प्रियंका शर्मा जी,, विचलित अजय जी,, राजेश जी,, चेतराम गर्ग जी,, ए आर गौतम जी,, उमी सिंह जी,, संत हरियोगी जी, हरदेव सिंह धीमान जी, अभ्युदिता गौतम सिंघा जी, प्रोफेसर अब्दुल्ला बिस्मिल्लाह जी, प्रोफेसर सूरज पालीवाल जी, एस आर हरनोट जी, शैलेश कुमार तिवारी जी, संतोष गर्ग जी, जय कृष्ण शुक्ला जी, नवदीप जी, डॉक्टर रविन्द्र कुमार ठाकुर जी, अंकिता गोसाईं जी, विनोद पाण्डेय जी, रत्न चंद रत्नेश जी, जिया लाल ठाकुर जी, प्रसिद्ध हास्य कवि घनश्याम अग्रवाल जी, लोक गायिका, साहित्यकार रूपेश्वरी शर्मा जी, प्रसिद्ध रंगकर्मी सुल्तान अहमद रिज़वी जी, डॉक्टर ओमप्रकाश शर्मा जी, प्रसिद्ध लेखक कमलेश कमल जी, अनिल पतंग जी, श्रेया लोहिया जी, डॉक्टर देवेन्द्र महेन्द्रू जी, शिरोमणि साहित्यकार प्रोफेसर एमिरेट्स लेख राम शर्मा जी, डॉक्टर अर्चना त्रिपाठी जी, डॉक्टर सत्यनारायण स्नेही जी, गोपाल शर्मा जी, वरुण शर्मा जी, गौरव गौतम जी, प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता बचन पचहरा जी, ललित भारती जी, सुरेन्द्र शर्मा शिव जी , रमेश डढवाल जी , जगदीश कश्यप जी, गुप्तेश्वर नाथ उपाध्याय जी, शशि सिंह जी, डॉक्टर रामविनय सिंह जी, डॉक्टर अरविन्द तिवारी जी, डॉक्टर रामकुमार मिश्रा जी, अर्चना शर्मा जी, डॉक्टर राकेश शर्मा जी, प्रोफेसर सुरेश सिंघल जी, दीपक भारद्वाज जी, कुसुम लता जोशी जी, डॉक्टर अंजलि शर्मा जी,,प्रकाश चंद धीमान जी, प्रसिद्ध लेखक, अरविन्द अवस्थी जी, जे पी सिंह जी प्रभृति विशिष्ट मेहमान साहित्य कला शिक्षा व जन संवाद में अपनी उपस्थिति से अनुगृहीत कर चुके हैं, जिनसे यह संवाद अपनी श्रेष्ठता सिद्ध कर रहा है और जन जन इससे लाभान्वित हो रहा है.
हिमालयन डिजिटल मीडिया पर ही ” झरोखा ” शीर्षक के अंतर्गत हिमाचली भाषा के संरक्षण संवर्धन के लिए लगभग 175 एपिसोड प्रसारित हो चुके हैं और इस कार्यक्रम ने एक अलग पहचान बनाई है.
साहित्य एवं पत्रकारिता का बड़ा चेहरा
स्वभाव से पत्रकार एवं साहित्यकार हितेन्द्र शर्मा को कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है. श्री हितेन्द्र शर्मा में विलुप्त प्रायः होती संस्कृति को बचाने की जो तड़प दिखाई देती है,, वो विरले ही मिलती है. शायद इसी तड़प का ही नतीजा है कि आज वे कई संगठनों के साथ जुड़कर समाज के प्रति अपने दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं. साहित्य साधना की अपनी इस धुन के चलते ही आज वे साहित्य एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश का एक जाना पहचाना नाम बन चुके हैं. हिमालयन डिजिटल मीडिया पर संस्कृत समाचारों का प्रसारण,, व सरकारी क्षेत्र व निजी क्षेत्र के आयोजनों का रिकॉर्डिड एवं लाइव प्रसारण लगातार जारी है.
इतना सब होने के बावजूद हितेन्द्र शर्मा जी विनम्रता एवं धैर्य की मूर्ति हैं जो बिना किसी भेदभाव के प्रतिष्ठित व नवोदित साहित्यकारों को साथ लेकर एक साहित्य आंदोलन चलाने में सफल हुए हैं. सागर में जैसे अनेक दिशाओं से वेगवान नदियाँ आती हैं और सागर के अस्तित्व पर कुठाराघात करती हैं, वैसे ही हितेन्द्र शर्मा जी भी किसी अपवाद की तरह नहीं हैं,, जीवन की अनेक घटनाओं और व्यक्तित्वों द्वारा प्रताड़ित होने के बावजूद पीड़ा व दर्द होने के बाद भी,,वो इन्हें सागर सम धैर्य से सह पाने की कला सीख गये हैं,, ऐसे व्यक्तित्व से भविष्य में अनेक आशायें हैं,, अनगिनत सम्भावनायें हैं,, ईश्वर करें इन्हें दीर्घायु के साथ साहस और बल मिले जिससे वह भविष्य में समाज की आगे भी इसी तरह सेवा कर पायें एवं नित्य नये आयाम स्थापित करें,, हार्दिक शुभकामनाएँ 🙏🙏🌹
✍️ जयनारायण कश्यप
मकान नंबर 120, रौड़ा सैक्टर 2,
बिलासपुर हिमाचल प्रदेश 174001.
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