डीसी का एकीकृत विकास परियोजना कार्यों को अधिक परिणामोन्मुखी बनाने पर जोर

धर्मशाला उपायुक्त कांगड़ा डॉ. निपुण जिंदल ने स्रोत स्थिरता और जलवायु लचीली वर्षा-आधारित कृषि के लिए चलाई एकीकृत विकास परियोजना कार्यों को ठोस व परिणामोन्मुखी बनाने पर बल दिया है। उन्होंने कहा कि इसके लिए संबंधित विभागों में पूर्ण समन्वय और योजनाओं के अभिसरण (कन्वर्जेंस) पर ध्यान देने की आवश्यकता है। वे सोमवार को उपायुक्त सभागार में आयोजित जिला स्तरीय समन्वय समिति की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। बता दें, विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित स्रोत स्थिरता और जलवायु लचीली वर्षा-आधारित कृषि के लिए एकीकृत परियोजना, हिमाचल प्रदेश में 10 जिलों की 428 ग्राम पंचायतों में चल रही है। इनमें कांगड़ा जिले के पंचरुखी, बैजनाथ, नगरोटा बगवां और देहरा क्षेत्र की 64 पंचायतें भी शामिल हैं।
निर्मित परिसंपत्तियों की मैपिंग करके गुणवत्ता संवर्धन पर करें फोकस
डॉ. निपुण जिंदल ने एकीकृत विकास परियोजना के जिला परियोजना अधिकारी को निर्देश दिए कि वे परियोजना से जुड़े सभी विभागों – वन, पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास, कृषि, बागवानी, पशु एवं मत्स्य पालन और जल शक्ति विभाग, के साथ जिले की चयनित पंचायतों में किए जा रहे कार्यों का ब्योरा साझा करें। इससे कार्यों के दोहराव की आशंका भी समाप्त होगी और निर्मित परिसंपत्तियों का मजबूत डैटाबेस भी तैयार हो जाएगा। उन्होंने कहा कि परियोजना में निर्मित परिसंपत्तियों की मैपिंग करके उनमें गुणवत्ता संवर्धन पर फोकस करें। सभी कार्यों में सामुदायिक भागीदारी के साथ आगे बढ़ें और स्थानीय लोगों को निर्मित परिसंपत्तियों को सामुदायिक संपत्ति के तौर पर देखने के लिए प्रेरित करें।
जलागम प्रबंधन में सुधार और जल व कृषि उत्पादकता में वृद्धि पर ध्यान
उपायुक्त ने कहा कि एकीकृत विकास परियोजना में समग्र रूप से जल और जंगल के मुख्य स्रोतों की स्थिरता के बीच एकीकरण पर जोर दिया जा रहा है। इससे छोटे और सीमांत किसानों के लिए आजीविका के अवसर बनेंगे। इसमें जलागम प्रबंधन में सुधार और जल व कृषि उत्पादकता में वृद्धि के लिए काम किया जा रहा है। स्थाई भूमि और जल संसाधन प्रबंधन, कृषि उत्पादकता और मूल्य संवर्धन में सुधार और एकीकृत जल प्रबंधन के लिए संस्थागत क्षमता निर्माण जैसे कार्य परियोजना के मुख्य घटक हैं।