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प्रधानमंत्री मोदी ने देश को किया संबोधित, इस बाात को लेकर किया आगाह

नई दिल्ली। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वैक्सीनेशन का आंकड़ा सौ करोड़ के पार होने पर देशवासियों को बधाई दी। राष्ट्र के नाम संबोधन में उन्होंने कहा कि कल 21 अक्टूबर को भारत ने 1 बिलियन, 100 करोड़ वैक्सीन डोज़ का कठिन,  लेकिन असाधारण लक्ष्य प्राप्त किया है। इस उपलब्धि के पीछे 130 करोड़ देशवासियों की कर्तव्यशक्ति लगी है। इसलिए ये सफलता भारत की सफलता है, हर देशवासी की सफलता है।पीएम नरेंद्र मोदी ने देश के नाम अपने संबोधन में त्योहारों के दौरान लोगों से सतर्क रहने की अपील की है। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि पूरे देश में उत्साह का माहौल है और हम जल्दी ही कोरोना से जंग जीतेंगे, लेकिन जब तक यह युद्ध जारी है, तब तक हमें हथियार नहीं डालने हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमें अब भी लापरवाह नहीं होना है। उन्होंने कहा कि कवच कितना ही मजबूत हो, लेकिन जब तक युद्ध चल रहा है, हथियार नहीं डालने हैं। मेरा आग्रह है कि हमें अपने त्योहारों को पूरी सतर्कता से मनाना है।


पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश में 100 करोड़ टीके लगना महज आंकड़ा ही नहीं है बल्कि हमारे सामर्थ्य का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि इस महामारी की शुरुआत में कहा जा रहा था कि भारत जैसे देश के लिए इससे लड़ना मुश्किल होगा। इसके अलावा यह भी कहा जा रहा था कि इतना अनुशासन यहां कैसे चलेगा। लेकिन हमारे लिए लोकतंत्र का अर्थ है, सबका साथ। देश में सबको साथ लेकर मुफ्त वैक्सीन का अभियान शुरू किया गया। देश के गांव-गांव तक हमारा एक ही मंत्र रहा है कि यदि बीमारी भेदभाव नहीं करती है तो फिर वैक्सीनेशन में भी भेदभाव न हो।

पीएम मोदी ने कहा कि यह तय किया गया कि वैक्सीनेशन के अभियान पर वीआईपी कल्चर हावी न हो। यह तय हुआ कि कोई कितना ही प्रभावशाली हो या फिर अमीर हो, उसे सामान्य व्यक्ति की तरह ही टीका लगेगा। आज दुनिया के कई देशों में लोग टीका लगवाने से बच रहे हैं, लेकिन भारत के लोगों ने 100 करोड़ डोज लेकर ऐसे लोगों को निरुत्तर कर दिया है। देश ने कई बार 1 करोड़ से ज्यादा का आंकड़ा पार किया। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमने तय किया कि हर क्षेत्र में वैक्सीन का सही से बंटवारा हो सके। इसके लिए वैज्ञानिक तरीके से विचार किया गया।

पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया के दूसरे बड़े देशों के लिए वैक्सीन पर रिसर्च करना, वैक्सीन खोजना, इसमें दशकों से उनकी expertise थी। भारत, अधिकतर इन देशों की बनाई वैक्सीन्स पर ही निर्भर रहता था आज कई लोग भारत के वैक्सीनेशन प्रोग्राम की तुलना दुनिया के दूसरे देशों से कर रहे हैं। भारत ने जिस तेजी से 100 करोड़ का, 1 बिलियन का आंकड़ा पार किया, उसकी सराहना भी हो रही है। लेकिन, इस विश्लेषण में एक बात अक्सर छूट जाती है कि हमने ये शुरुआत कहाँ से की है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब 100 साल की सबसे बड़ी महामारी आई, तो भारत पर सवाल उठने लगे। क्या भारत इस वैश्विक महामारी से लड़ पाएगा? भारत दूसरे देशों से इतनी वैक्सीन खरीदने का पैसा कहां से लाएगा? भारत को वैक्सीन कब मिलेगी? भारत के लोगों को वैक्सीन मिलेगी भी या नहीं? क्या भारत इतने लोगों को टीका लगा पाएगा कि महामारी को फैलने से रोक सके? भांति-भांति के सवाल थे, लेकिन आज ये 100 करोड़ वैक्सीन डोज, हर सवाल का जवाब दे रही है। कोरोना महामारी की शुरुआत में ये भी आशंकाएं व्यक्त की जा रही थीं कि भारत जैसे लोकतंत्र में इस महामारी से लड़ना बहुत मुश्किल होगा। भारत के लिए, भारत के लोगों के लिए ये भी कहा जा रहा था कि इतना संयम, इतना अनुशासन यहाँ कैसे चलेगा?

उन्होंने कहा कि लेकिन हमारे लिए लोकतन्त्र का मतलब है-‘सबका साथ’ सबको साथ लेकर देश ने ‘सबको वैक्सीन-मुफ़्त वैक्सीन’ का अभियान शुरू किया। गरीब-अमीर, गाँव-शहर, दूर-सुदूर, देश का एक ही मंत्र रहा कि अगर बीमारी भेदभाव नहीं नहीं करती, तो वैक्सीन में भी भेदभाव नहीं हो सकता! इसलिए ये सुनिश्चित किया गया कि वैक्सीनेशन अभियान पर VIP कल्चर हावी न हो। भारत का पूरा वैक्सीनेशन प्रोग्राम विज्ञान की कोख में जन्मा है, वैज्ञानिक आधारों पर पनपा है और वैज्ञानिक तरीकों से चारों दिशाओं में पहुंचा है। हम सभी के लिए गर्व करने की बात है कि भारत का पूरा वैक्सीनेशन प्रोग्राम, Science Born, Science Driven और Science Based रहा है।

उन्होंने कहा कि Experts और देश-विदेश की अनेक agencies भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर बहुत सकारात्मक है। आज भारतीय कंपनियों में ना सिर्फ record investment आ रहा है बल्कि युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी बन रहे है। Start-ups में record investment के साथ ही record Start-ups, Unicorn बन रहे है। पीएम मोदी ने कहा कि मैं आपसे फिर ये कहूंगा कि हमें हर छोटी से छोटी चीज, जो Made in India हो, जिसे बनाने में किसी भारतवासी का पसीना बहा हो, उसे खरीदने पर जोर देना चाहिए। और ये सबके प्रयास से ही संभव होगा: जैसे स्वच्छ भारत अभियान, एक जनआंदोलन है, वैसे ही भारत में बनी चीज खरीदना, भारतीयों द्वारा बनाई चीज खरीदना, Vocal for Local होना, ये हमें व्यवहार में लाना ही होगा। पीएम ने कहा कि देश बड़े लक्ष्य तय करना और उन्हें हासिल करना जानता है। लेकिन, इसके लिए हमें सतत सावधान रहने की जरूरत है। हमें लापरवाह नहीं होना है: कवच कितना ही उत्तम हो, कवच कितना ही आधुनिक हो, कवच से सुरक्षा की पूरी गारंटी हो, तो भी, जब तक युद्ध चल रहा है, हथियार नहीं डाले जाते। मेरा आग्रह है, कि हमें अपने त्योहारों को पूरी सतर्कता के साथ ही मनाना है।

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