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सफलता की कहानीः असाध्य रोग से ग्रस्त असहाय सन्नी और अंकुर को सरकार ने दिया ‘सहारा’

शिमला। असाध्य रोग मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के कारण बचपन से ही बिस्तर पर पड़े असहाय व्यक्ति और नेत्र रोग के कारण अपनी आंखों की रोशनी खो चुके युवा की व्यथा की कल्पना मात्र से ही हर किसी का मन सिहर उठता है। कई वर्षों से यह दर्द झेल रहे हमीरपुर के निकटवर्ती गांव मझोट के 37 वर्षीय सन्नी और 31 वर्षीय अंकुर सोनी के परिजनों को न जाने कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इलाज के लिए बड़े-बड़े अस्पतालों के चक्कर लगाने तथा लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी सन्नी और अंकुर की सेहत में कोई सुधार न होने के कारण अब ये पूरी तरह अपने परिजनों पर ही आश्रित हैं।  पिछले साल कोरोना के कारण पिता की मृत्यु के बाद असहाय सन्नी और उसकी माता पर तो मानों मुसीबतों का पहाड़ ही टूट पड़ा। ऐसी परिस्थितियों में सिर्फ भावनात्मक रूप से ही नहीं, बल्कि आर्थिक रूप से भी बुरी तरह टूट चुके सन्नी और अंकुर के परिजनों के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार की ‘सहारा’ योजना बहुत बड़ा सहारा साबित हो रही है। इस योजना के तहत इन दोनों को प्रतिमाह 3000 रुपये की राशि मिल रही है।




हिमाचल प्रदेश सरकार ने वर्ष 2019 में सहारा योजना आरंभ की

दरअसल, सन्नी और अंकुर की तरह गंभीर एवं असाध्य रोगों से ग्रस्त या किसी गंभीर दुर्घटना के कारण शारीरिक रूप से अक्षम हो चुके लोगों के दुख-दर्द को समझते हुए ही हिमाचल प्रदेश सरकार ने वर्ष 2019 में सहारा योजना आरंभ की। अधरंग, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी, पार्किन्सन, कैंसर, हैमोफिलिया, थेलेसेमिया, किडनी की गंभीर बीमारी और अन्य बीमारियों के कारण या गंभीर दुर्घटनाओं के कारण अक्षम हो चुके लोगों तथा उनके परिजनों के लिए यह योजना बहुत बड़ी राहत लेकर आई है। मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के कारण लगभग 37 वर्षों से बिस्तर पर पड़े हमीरपुर के निकटवर्ती गांव मझोट के सन्नी की माता राज कुमारी ने बताया कि सहारा योजना के तहत अब सन्नी को हर माह प्रदेश सरकार की ओर से 3000 रुपये की धनराशि मिल रही है। यह धनराशि उनके लिए बहुत बड़ा सहारा साबित हो रही है। प्रदेश सरकार का बार-बार धन्यवाद करते हुए राज कुमारी ने बताया कि उन्होंने अपने बेटे के इलाज के लिए बड़े-बड़े अस्पतालों के चक्कर लगाए और लाखों रुपये खर्च किए, लेकिन उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। परिवार की आर्थिक हालत भी बिगड़ती चली गई। पिछले वर्ष कोरोना के कारण पति की मौत के बाद तो उनकी मुसीबतें और भी बढ़ गईं। लेकिन, सहारा योजना का लाभ मिलने के बाद अब उनका परिवार सन्नी की देखभाल बेहतर ढंग से कर पा रहा है।




गांव मझोट के ही एक युवा अंकुर सोनी को भी सहारा योजना के तहत प्रतिमाह 3000 रुपये मिल रहे

गांव मझोट के ही एक युवा अंकुर सोनी को भी सहारा योजना के तहत प्रतिमाह 3000 रुपये मिल रहे हैं। बचपन में नेत्र रोग के कारण धीरे-धीरे अंकुर की आंखों की रोशनी चली गई है और वह 100 प्रतिशत अंधता का शिकार हो गए। साधारण परिवार से संबंध रखने वाले अंकुर के इलाज पर भी लाखों रुपये खर्च हुए। दोनों आंखों की रोशनी चले जाने के बाद अंकुर के समक्ष रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया था। ऐसी परिस्थितियों में प्रदेश सरकार की सहारा योजना अंकुर के लिए वरदान साबित हो रही है। प्रदेश सरकार का धन्यवाद करते हुए अंकुर ने बताया कि प्रति माह 3000 रुपये मिलने से उन्हें बहुत बड़ी राहत मिली है। अंकुर और सन्नी की तरह ही प्रदेश में 20 हजार से अधिक असहाय लोगों को सहारा योजना का लाभ मिल रहा है। असाध्य रोगों से ग्रस्त लोगों के लिए यह योजना निःसंदेह एक बड़ा सहारा बनी है। इस योजना के पात्र लोगों को अभी तक लगभग 80 करोड़ रुपये की राशि दी जा चुकी है।

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