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लाहौल की नेहा ने की नर्सिंग में पीएचडी, विशेष स्तनपान के बारे में महिलाओं को मिलेगी जानकारी
उदयपुर (लाहौल स्पीति)। जिला लाहौल स्पीति के उदयपुर तहसील के तिंदी के बरोर गांव की रहने वाली नेहा ठाकुर ने नर्सिंग में पीएचडी की डिग्री हासिल की है। नेहा ठाकुर इन दिनों जिला कुल्लू के शमशी में रह रही है और उन्होंने अपने शोध पत्र में महिलाओं को विशेष स्तनपान के बारे में जागरूक किया है ताकि महिलाएं अपने नवजात शिशु को सही तरीके से स्तनपान करवा सके।
नेहा ठाकुर ने यह डिग्री जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी से स्त्री रोग विभाग से हासिल की है। नेहा ठाकुर ने बताया कि अपने शोध में उन्होंने जिला कुल्लू के विभिन्न ग्रामीण इलाको को चुना। जहां पर महिलाओं में आज भी नवजात शिशु को स्तनपान करवाने के बारे में कई भ्रामक जानकारी थी। ऐसे में उन्होंने विशेष स्तनपान के अभ्यास में माताओं की जैविक शैली, नवजात शिशु कारक, जैविक, मनोविज्ञानी, सामाजिक, व्यक्तिगत कारक, या मिथक कारक के प्रति शोध किया और पता चला कि आज भी ग्रामीण इलाको में महिलाओं को स्तनपान के बारे में कोई खास जानकारी नहीं है। वही, अपने शोध में उन्होंने पाया कि विशेष स्तनपान के बारे में जानकारी महिलाओं को प्रसव से पहले दी जानी चाहिए।
महिला को प्रसवोत्तर अवधि में जानकारी को अपने जीवन शैली में उतार सके। शोध के दौरान डॉ नेहा ठाकुर ने गांव-गांव जाकर महिलाओं को जागरूक किया तथा माताओं को स्तनपान के बारे में बताया। वही, महिलाओं को यह भी जानकारी दी गई कि कैसे और कब तक शिशु को स्तनपान करवाएं और शिशु या माता के लिए इसके क्या क्या लाभ है।
नेहा ठाकुर ने यह डिग्री जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी से स्त्री रोग विभाग से हासिल की है। नेहा ठाकुर ने बताया कि अपने शोध में उन्होंने जिला कुल्लू के विभिन्न ग्रामीण इलाको को चुना। जहां पर महिलाओं में आज भी नवजात शिशु को स्तनपान करवाने के बारे में कई भ्रामक जानकारी थी। ऐसे में उन्होंने विशेष स्तनपान के अभ्यास में माताओं की जैविक शैली, नवजात शिशु कारक, जैविक, मनोविज्ञानी, सामाजिक, व्यक्तिगत कारक, या मिथक कारक के प्रति शोध किया और पता चला कि आज भी ग्रामीण इलाको में महिलाओं को स्तनपान के बारे में कोई खास जानकारी नहीं है। वही, अपने शोध में उन्होंने पाया कि विशेष स्तनपान के बारे में जानकारी महिलाओं को प्रसव से पहले दी जानी चाहिए।
महिला को प्रसवोत्तर अवधि में जानकारी को अपने जीवन शैली में उतार सके। शोध के दौरान डॉ नेहा ठाकुर ने गांव-गांव जाकर महिलाओं को जागरूक किया तथा माताओं को स्तनपान के बारे में बताया। वही, महिलाओं को यह भी जानकारी दी गई कि कैसे और कब तक शिशु को स्तनपान करवाएं और शिशु या माता के लिए इसके क्या क्या लाभ है।
डॉ नेहा ठाकुर ने बताया कि इस दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के द्वारा इस विषय को लेकर कई सवाल भी पूछे गए। जिसका सही उत्तर के साथ निवारण भी किया गया। ताकि महिलाओं को अपने शिशु के देखरेख में किसी प्रकार की दिक्कतों का सामना न करना पड़े। डॉ नेहा ठाकुर ने बताया कि उन्हें अपने पिता जय चंद ठाकुर का काफी सहयोग मिला और अपने अन्य शिक्षकों की मदद से आज वो इस मुकाम को हासिल कर पाई है।