माता-पिता, गर्भवती बहन और भांजी के हत्यारे को सजा-ए-मौत
देहरादून। परिवार के चार सदस्यों की हत्या करने वाले हरमीत सिंह को अपर सत्र न्यायाधीश (पंचम) आशुतोष कुमार मिश्र की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है। सोमवार को अदालत ने हरमीत को दोषी करार दिया था। अक्टूबर 2014 में दीपावली की रात हरमीत ने पिता, सौतेली मां, नौ माह की गर्भवती बहन और भांजी की चाकू से गोदकर हत्या कर दी थी। अदालत ने गर्भस्थ शिशु की मौत को भी हत्या करार दिया। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता राजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि अदालत ने इस मामले को दुर्लभतम (रेयरेस्ट आफ द रेयर) मानते हुए फैसला सुनाया है।
मामले में मंगलवार को दोपहर 12 बजे सजा पर सुनवाई शुरू हुई। तकरीबन एक घंटा चली सुनवाई में अभियोजन पक्ष की ओर से 2008 में बिहार, 1980 व 1983 में पंजाब में सामने आए ऐसे ही मामलों में सुप्रीम कोर्ट की ओर से सुनाई गई फांसी की सजा की दलील पेश की गईं। अदालत ने अभियोजन पक्ष की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। इसके बाद शाम को करीब चार बजे का कार्यवाही दोबारा शुरू हुई और अदालत ने हरमीत का सजा सुनाई।
दिल दहलाने वाली यह वारदात सात वर्ष पहले दून के आदर्श नगर में हुई थी। हरमीत ने संपत्ति के लिए पिता जय सिंह, सौतेली मां कुलवंत कौर, बहन हरजीत कौर और तीन वर्षीय भांजी सुखमणि को मौत घाट उतार दिया। वारदात का पता तब चला, जब अगले दिन सुबह करीब साढ़े दस बजे नौकरानी राजी उनके घर पहुंची। इस मामले में हरजीत कौर के बेटे कमल की गवाही अहम रही। वह इस घटना का एकमात्र चश्मदीद है। हरमीत ने कमल पर भी हमला किया था, मगर वह बच गया।
संपत्ति के लिए अपने ही परिवार को मौत के घाट उतारने वाले हरमीत सिंह से मृतक जय सिंह के भतीजे एवं शिकायतकर्ता अजीत सिंह और उनका परिवार इतना खफा है कि उसे फांसी पर लटका देखना चाहता है। इस मामले में अदालत का फैसला सुनने के लिए अजीत मंगलवार को अपने रिश्तेदारों के साथ अदालत में मौजूद रहे। शाम को अदालत ने जैसे ही हरमीत को फांसी की सजा सुनाई, उनके चेहरे पर खुशी छा गई और आंखों से आंसू छलक पड़े।
हरमीत की सजा पर अदालत का फैसला आने के बाद अजीत ने कहा कि इस पल का वह वर्षों से इंतजार कर रहे थे। फैसले का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि हरमीत ने जिस बेरहमी से अपनों का खून बहाया, वैसा दुश्मन भी नहीं करते। इसलिए उसे किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाना चाहिए।