शिमला, मंडी, लाहौल-स्पीतिहिमाचल
सौर ऊर्जा के दोहन, सोलर पावर प्लांट बने वरदान
शिमला। दुर्गम क्षेत्रों में बिजली की समस्या के समाधान के लिए राज्य सरकार द्वारा हिमऊर्जा विभाग के माध्यम से सौर ऊर्जा का उपयोग करने के लिए व्यापक कार्यक्रम चलाया गया है। इसके अन्तर्गत जहां दुर्गम क्षेत्रों के लोगों की बिजली की समस्या का समाधान हुआ है वहीं प्रदेश के अन्य स्थानों पर भी सौर ऊर्जा के दोहन को बढ़ावा मिला है, जिससे लोगों के बिजली के बिल के रूप में होने वाले खर्च में भी कमी आई है। सौर ऊर्जा के दोहन से दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के घर रोशनी से जगमगा रहे हैं।
331.25 मेगावाट के 89 स्माल हाइड्रो यूनिट स्थापित
हिमऊर्जा के गठन के बाद विभाग द्वारा राज्य में अब तक 331.25 मेगावाट के 89 स्माल हाइड्रो यूनिट स्थापित किए जा चुके हंै, जो 5 मेगावाट तक के हैं, जो लोगों की बिजली की समस्या का समाधान करने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। जिला चंबा में लगभग 82.7 मेगावाट, कांगड़ा जिला में 98.65 मेगावाट, किन्नौर जिला में 25.9 मेगावाट, कुल्लू जिला में 60 मेगावाट, मंडी जिला में 10.50 मेगावाट, शिमला जिला में 39 मेगावाट और सिरमौर जिला में 12 मेगावाट के स्माल हाइड्रो यूनिट स्थापित किए गए हंै।
ग्रिड कनेक्टिड सोलर रूफ टाॅप पावर प्लांट भी स्थापति
हिमऊर्जा द्वारा 41 उन्नत घराट, 878 उन्नत चूल्हें और 17 विंड सोलर हाइब्रिड सिस्टम भी प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर स्थापित किए गए हैं। इसके अतिरिक्त विभाग द्वारा 164803 स्ट्रीट लाईटें, 69935 लालटेन, 27713 घरेलू लाईटें, 3152.45 कि.वा. के आॅफ ग्रिड सोलर पावर प्लांट, 14425.54 कि.वा. के ग्रिड कनेक्टिड सोलर रूफ टाॅप पावर प्लांट और 20,24,000 सोलर वाटर हिंिटंग सिस्टम लोगों को उपलब्ध करवाएं गए हैं।
आॅफ ग्रिड सोलर पावर प्लांट निःशुल्क स्थापित
राज्य सरकार के वर्तमान कार्याकाल के दौरान किन्नौर जिला के गांव कुन्नू और चारंग में स्वच्छ बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कुन्नू गांव में 34 घरों और चारंग गांव में 40 घरों में एक किलोवाट के आॅफ ग्रिड सोलर पावर प्लांट निःशुल्क स्थापित किए। इसके अतिरिक्त चम्बा जिला के पांगी उपमण्डल में एक हजार बीपीएल परिवारों के घरों में गत दिसम्बर माह में 250 वाट के आॅफ ग्रिड सोलर पावर प्लांट स्थापित किए गए हैं ताकि इन दुर्गम क्षेत्रों में सर्दियों के दौरान होने वाली भारी बर्फबारी में बिजली के खंभों व तारों के टूटने के कारण उत्पन्न होने वाले विद्युत संकट से बचा जा सके।
राजधानी शिमला से लगभग 461 किमी दूर है पांगी क्षेत्र
पांगी क्षे़त्र राजधानी शिमला से लगभग 461 किलोमीटर दूर 7,000 से 11,000 फीट की ऊंचाई पर बसा हुआ है। यहां की आबादी 2011 की जनगणना के अनुसार 18,868 है। सर्दियों के दिनों में जब यह घाटी भारी बर्फबारी के कारण लगभग छः महीने बंद रहती है और विद्युत लाईनें भी बाधित हो जाती है, ऐसे में इस क्षेत्र के लिए प्रदेश सरकार ने बजट में 3.83 करोड़ रुपये का प्रावधान करके गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों के घरों को आॅफ ग्रिड सोलर पावर प्लांटों से रोशन किया है।
स्कूली बच्चों के लिए वरदान बनी सोलर पावर प्लांट योजना
सोलर पावर प्लांट स्थापित होने से क्षेत्र के लोग खुश हंै। पांगी निवासी अश्विनी कुमार का कहना है कि पांगी क्षेत्र लगभग पांच-छः महीने बर्फ से ढका रहता है, जिससे हमें बिजली की समस्या का सामना करना पड़ता है। लेकिन अब प्रदेश सरकार द्वारा हिमऊर्जा के माध्यम से सोलर पावर प्लांट स्थापित किए जाने से हमेें सर्दियों में बिजली की समस्या नहीं होगी। वहीं किलाड़ निवासी नेक राम और सुभाष सिंह का कहना है कि यहां सर्दियों के दिनों में मात्र एक-दो घंटे बिजली आती थी, जिससे स्कूल के बच्चों को पढ़ने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता था, अब सरकार की सोलर प्लांट योजना स्कूली बच्चों के लिए वरदान सिद्ध हुई है। इनका कहना है कि अब घर में टेलीविज़न तथा पांच एल.ई.डी. ट्यूब तक चल रहे हंै। पांगी के अविनाश ने भी बताया कि वे अपने घर में टेलीविज़न के अलावा 3 एल.ई.डी. ट्यूब भी सौर ऊर्जा से चला रहे हैं। साधारणतः 250 वाॅट के इन सौर ऊर्जा प्लांटों से 9 वाट की 4 से 5 एल.ई.डी. ट्यूब लाईटें 5 घंटे से अधिक जलती हैं तथा 40 वाॅट का एल.ई.डी. टेलीविज़न भी 4 घंटे चलता है। इन आॅफ ग्रिड सोलर प्लांट की मुरम्मत व रख-रखाव के लिए स्थानीय लोगों को प्रशिक्षित भी किया गया है।
शिमला में ग्रिड कनेक्टिड सौर ऊर्जा पावर प्लांट स्थापित
प्रदेश की राजधानी शिमला शहर में भी ग्रिड कनेक्टिड सौर ऊर्जा पावर प्लांट स्थापित किए गए हैं। शहर के लगभग 66 सरकारी कार्यालयों की छतों पर यह सौर ऊर्जा पावर प्लांट स्थापित किए गए हैं, जिनसे सरकारी कार्यालयों में भी बिजली के बिलों में बचत हुई है। इसके अलावा 23.25 मैगावाट की ग्रिड कनेक्टिड परियोजनाएं जमीन पर स्थापित की गई हंै, जिनके माध्यम से हिमाचली बेरोजगार युवकों को आमदनी तथा श्रम एवं स्थाई रोजगार के साधन सृजित हुए हैं।
दो ब्लाॅकों से शुरू हुआ था कार्यक्रम
ग्रामीण क्षेत्रों में ऊर्जा की जटिल समस्या के समाधान हेतु भारत सरकार के योजना आयोग द्वारा वर्ष 1981 में राष्ट्रीय स्तर पर एकीकृत ग्रामीण ऊर्जा कार्यक्रम की शुरूआत की गई थी। हिमाचल प्रदेश में इस कार्यक्रम की शुरूआत छठी पंचवर्षीय योजना के अन्तिम वर्षों में की गई थी। कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए एकीकृत ग्रामीण ऊर्जा कार्यक्रम विभाग की स्थापना की गई। प्रदेश में इस कार्यक्रम को सर्वप्रथम दो ब्लाॅकों ठियोग (शिमला) तथा काजा (लाहौल स्पीति) में वर्ष 1984-85 में शुरू किया गया था, उसके बाद यह कार्यक्रम पूरे प्रदेश में चलाया गया।
उपदान पर वितरित किए गए सौर ऊर्जा सयंत्र
गैर परम्परागत स्रोतों के उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस कार्यक्रम को बड़े पैमाने पर कार्यान्वित करने हेतु मार्च, 1989 में हिमऊर्जा (हि.प्र. ऊर्जा विकास अभिकरण) की स्थापना की गई। शुरूआती वर्षों में हिमऊर्जा द्वारा इस कार्यक्रम के अंतर्गत ईधन दक्ष उपकरणों एवं संयंत्रों जैसेः सोलर कुकर, सोलर लालटेन, धुआंरहित चुल्हा, नूतन स्टोव, प्रेशर कुकर, साधारण लालटेन, साधारण पनचक्कियों में सुधार, सोलर गीज़र, सार्वजनिक स्थानों पर सौर गली रोशनियांे की स्थापना तथा कवायली इलाकों में सौर घरेलू रोशनियों आदि का वितरण उपदान पर किया गया, बाद में बड़े पैमाने पर इस कार्यक्रम को जिला किन्नौर के दूर-दराज के गांव कुन्नू और चांरग में चलाया गया।
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