शिमला, मंडी, लाहौल-स्पीतिहिमाचल
Trending

राज्यपाल ने चौधरी सरवण कुमार कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के 25वें सीनेट बैठक की अध्यक्षता की

शिमला। राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने आज चौधरी सरवण कुमार कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में 25वें सीनेट बैठक की अध्यक्षता की। इस अवसर पर राज्यपाल ने अपने सम्बोधन में कृषि वैज्ञानिकों से अकैडमिक से हटकर कार्य करने पर बल दिया ताकि आम व्यक्ति और किसान इस विश्वविद्यालय को अपना समझ सके, यही किसी उच्च शैक्षणिक संस्थान की वास्तव में सफलता की कहानी प्रदर्शित करती है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों का कौशल आम लोगों के हित में होना चाहिए और यही विश्वविद्यालय का प्रमुख ध्येय होना चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि वर्तमान में जलवायु परिवर्तन प्रमुख चुनौती है

जिसका पूरे विश्व को सामना करना पड़ रहा है जो कि सीधे तौर पर कृषि, बागवानी एवं खाद्य सुरक्षा से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में अनेक चुनौतियां है। हमें इन चुनौतियों से भागने के बजाये इन चुनौतियों का सामना करते हुए उचित समाधान खोजना होगा। राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय में कार्यरत वैज्ञानिक विशेषज्ञ हैं और इनके ठोस प्रयासों के पिछले कई वर्षों से विश्वविद्यालय ने कृषि क्षेत्र में अनेक मील के पत्थर स्थापित किए हैं। उन्होंने उम्मीद जताई की यह प्रक्रिया जारी रहेगी। राज्यपाल ने कहा कि इसी तरह युवाओं के सामने सबसे बड़ी चुनौती कौशल विकास और लगातार नए कौशल सीखने की क्षमता को लेकर है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि युवा इन चुनौतियों के लिए स्वयं को तैयार करेंगे। उन्होंने युवा वैज्ञानिकों से अपने क्षेत्र में अधिक समर्पण के साथ कार्य करने और कौशल विकसित करने का आह्वान किया।

कृषि और बागवानी के अधिकांश स्नातक खेतों में कार्य करने में रुचि नहीं रखते-आर्लेकर

उन्होंने कहा कि कमियों को दूर करना हमारी जिम्मेदारी है, इसलिए पालमपुर विश्वविद्यालय जो समाधान उपलब्ध करवाएगा, उस पर पूरा देश नजर रखे हुए है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री किसानों की आय को दोगुना करने की कोशिश कर रहे है, इस दिशा में हम जो कुछ भी कर सकते है, उसके लिए प्रयास किए जाने चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि हम यहां जो कुछ भी कर रहे है, वह युवा पीढ़ी के लिए कर रहे है और हमारा ज्ञान निचले स्तर तक पहुंचना चाहिए। श्री आर्लेकर ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि कृषि और बागवानी के अधिकांश स्नातक खेतों में कार्य करने में रुचि नहीं रखते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ माह में उन्होंने कृषि और बागवानी विश्वविद्यालयों में, जिन युवाओं के साथ वार्तालाप किया है उन्होंने उन्हें ऐसा प्रभाव दिया, जो चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को

युवाओं को कृषि, बागवानी, पशुपालन और उनसे संबंधित क्षेत्रों को व्यवसाय के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित करना चाहिए और प्रौद्योगिकी सहायता प्रदान करनी चाहिए। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि हिमाचल प्रदेश को प्राकृतिक कृषि राज्य बनाने में कृषि विश्वविद्यालय महत्वपूर्ण भमिका निभाएगा। उन्होंने वैज्ञानिकों को गांव और किसानों से जुड़ने के निर्देश दिए और युवा वैज्ञानिकों को प्रेरित करते हुए अपनी पारम्परिक खेती में शोध करने का आहवान किया।

प्राकृतिक खेती में वैज्ञानिक मानदंड हमारे अपने होने चाहिए-राज्यपाल

राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के माध्यम से प्राकृतिक खेती के कार्यान्वयन पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, क्या विश्वविद्यालय के हमारे वैज्ञानिक किसानों को प्राकृतिक खेती के तरीकों के बारे में सही जानकारी देते हैं। प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद हम उन किसानों की निगरानी कर रहे हैं और क्या वे पूरा लाभ उठा रहे हैं। अगर वे सभी 6 घटकों (कम्पोनेंटस) का पालन नहीं कर रहे हैं तो निश्चित रूप से हम दोषी हैं और यह हमारी आंशिक भागीदारी होगी।उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती में वैज्ञानिक मानदंड हमारे अपने होने चाहिए और इस दिशा में कार्य करने की जरूरत है। उन्होंने कृषि इंजीनियरिंग पर भी बल दिया।इससे पहले, चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कुलपति प्रो. एच.के. चौधरी ने राज्यपाल का स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय की विभिन्न गतिविधियों की जानकारी दी।

इस अवसर पर नगरोटा-बगवां के विधायक अरुण कुमार सहित सीनेट के सरकारी और गैर-सरकारी सदस्य भी उपस्थित थे। इससे पहले, राज्यपाल ने कृषि फार्म का भी दौरा किया। उन्होंने संरक्षित कृषि और प्राकृतिक खेती उत्कृष्टता केंद्र और उन्नत कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी केंद्र का दौरा किया। कुलपति ने उन्हें हाइड्रोपोनिक्स के अन्तर्गत बिना मिट्टी वाली सब्जी फसलों की खेती के लिए हाईटेक पायलट हाउस से भी अवगत करवाया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button