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Himachal News: पैसा लेकर नौकरी लगवाने के नाम पर की थी धोखाधड़ी; कोर्ट ने सुनाई सजा

पैसा लेकर नौकरी लगवाने के नाम पर धोखाधड़ी करने के आरोपियों को माननीय अतिरिक्त मुख्य दण्डाधिकारी, सरकाघाट मोनिका सोम्बाल की अदालत ने सुनाई सजा ।

मंडी। दिनांक 24.09.2019 को पुलिस थाना धर्मपुर, जिला मण्डी में अच्छर सिंह पुत्र रामानन्द गाँव खेड़ी, डा०घ० कमलाह, तहसील संधोल, जिला मण्डी हि०प्र० ने शिकायत दर्जकरवाई थी कि वह वर्ष 2017 में हमीरपुर गया था जहाँ पर उसे विधि चन्द पुत्र गरीब दास निवासी बल्डोह, डा० चमलेहड़, जिला हमीरपुर हि०प्र० मिला जिसने बताया कि उसका भांजा अनिल कुमार सेक्रेटेरियट, शिमला में नौकरी करता है व लोगों को नौकरी पर लगवा रहा है। इसके बाद शिकायतकर्ता अच्छर सिंह ने अनिल से सम्पर्क किया जिसने बताया कि प्रत्येक नौकरी के दो लाख पचास हजार रूपये लगेंगे। शिकायतकर्ता ने अपने बेटे व दोनों बहुओं को नौकरी लगवाने के लिए अनिल कुमार पुत्र कान्ति राम निवासी अमनेहड़ बरठयाणा, तहसील व जिला हमीरपुर हि०प्र० द्वारा बतलाए गए खातों में दिनांक 30.08.2017 को पाँच लाख रूपये डाल दिए। उसके बाद अनिल ने आरोपी रोहित कुमार पुत्र सुभाष का खाता नम्बर दिया जिसके कहने पर शिकायतकर्ता ने दिनांक 29.08.2017 को 49000 /- रूपये व दोबारा 49000 /- रूपये डाले ।



दिनांक 17.09.2017 को 50000/- रूपये व 20.09.2017 को 50000/- रूपये और डाले गए जो शिकायतकर्ता से नौकरी के नाम पर कुल 6,98,000 /- रूपये धोखाधड़ी से ले लिए लेकिन कोई नौकरी शिकायतकर्ता के बेटे व बहुओं को न लगवाई। शिकायतकर्ता की शिकायत पर थाना धर्मपुर में एफ. आई. आर. संख्या : 160 / 2019 दिनांक 24.09.2019 को दर्ज हुई। पुलिस ने तफ्तीश अमल में लाई व तफ्तीश पूर्ण होने पर, आरोप पत्र आरोपियों रोहित गुप्ता, सुभाष कायस्था, अनिल कुमार व विधि चन्द के खिलाफ जेर धारा 420, 120बी, आई.पी.सी. के अन्तर्गत माननीय अदालत में दायर किया गया । सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने 25 गवाहों के व्यान दर्ज करवाए। माननीय अदालत ने दिनांक 30.12.2022 को अपने फैंसले में आरोपी रोहित गुप्ता, विधि चन्द व अनिल कुमार को दोषी पाया व सुभाष कायस्था को साक्ष्यों के अभाव में बरी किया।


दिनांक 16.01.2023 को माननीय अदालत ने तीनों आरोपियों रोहित गुप्ता, विधि चन्द व अनिल कुमार को धारा 420 आई.पी.सी. के तहत तीन साल की सजा व दस हजार रूप्ये जुर्माना व धारा 120बी आई.पी.सी. के तहत एक साल की सजा व दस हजार रूपये जुर्माना की सजा सुनाई। अभियोजन पक्ष की ओर से सहायक लोक अभियोजक सुभाषचन्द ने केस की पैरवीकी ।

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