अजब : यहां शादी के बाद 5 साल तक नहीं मना सकते सुहागरात, बीवी की तरफ घूरना भी गुनाह

भारत में शादी एक पवित्र परंपरा मानी जाती है। इस शादी के बाद नवविवाहित पति-पत्नी एक साथ समय बितात हैं। दोनों रात के समय एक दूसरे के प्यार में खो जाते हैं जिसे सुहागरात कहते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में ऐसे भी गांव है जहां शादी के बाद 5 साल तक आप सुहागरात नहीं मना सकते। सुहागरात तो छोड़िए लड़की की तरफ देखना भी गुनाह माना जाता है।
सुहागरात (Suhagrat) पर रोक लगाने की प्रशा शायद ही देश के किसी कोने में हो लेकिन एक ऐसी जगह है जहां शादी के बाद 5 साल तक सुहागरात मनाने पर सख्त प्रतिबंध है। दरअसल, शादी के बाद ही दुल्हन की विदाई नहीं की जाती है।
यहां पर दूल्हे को 5 साल तक ससुराल आने की इजाजत तक नहीं रहती है। दूल्हे को अपनी दुल्हन को देखने के लिए लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है और 5 साल के बाद ही दूल्हा अपनी दुल्हन के साथ सुहागरात की रसम पूरी करता है।
दरअसल, चपोता जाति में इस परंपरा को मानी जाती है क्योंकि यहां बच्ची की शादी 5 से 12 साल में कर दी जाती है जिससे सभी लोग यहां लड़की के 18 साल होने का इंतजार करते हैं। फिर दूल्हा रस्मों रिवाज के साथ सुहागरात मनाता है।
दरअसल, बिहार के कुरार, लक्ष्मीपुर, भेलाय, कहराबांध, बाराहाट में चचरा, नयानगरी, झपनियां, लौढिया, लखपुरा, हरिपुर, महुआडीह, बौंसी के समीप ललमटिया, श्यामबाजार, गोविंदपुर आदि गांवों की घर-घर यही कहानी है। चपोता नाम की जाति के परिवारों में इसकी परंपरा चल रही है।
हां के स्थानीय लोगों का कहना है कि चपोता जाति समाज में लड़की की शादी अब भी 10 से 12 साल में कर दी जाती है। लड़के की शादी 12 से 16 साल की उम्र में होती है। इसमें देरी करने पर लड़की को ना लड़का मिलेगा ना लड़का को सही उम्र की लड़की मिलती है। लेकिन, हां शादी के बाद हम लोग बेटी को विदा कर ससुराल नहीं भेजते हैं।