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Mandi : विदेश से नौकरी छोड़ी, सब्जी उत्पादन से महक उठा स्वरोजगार

शिक्षित युवाओं के लिए आत्मनिर्भरता की नई मिसाल

मंडी। सरकार से उपदान पर मिले पाॅली हाउस में विदेशी सब्जियों के उत्पादन में स्वरोजगार की महक युवाओं की जिंदगी में स्वाबलंबन के नए आयाम स्थापित कर रही है। मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती……..स्वरों को चरितार्थ करते हुए विदेश से नौकरी छोड़कर अपने गांव की माटी में सोना उगाने की सुंदरनगर के पलोहटा गांव के संजय की कोशिशों को सरकार की मदद से आत्मनिर्भरता के नए पंख लगाए हैं। पाॅली हाउस में विदेशी सब्जियां उगाकर संजय प्रतिवर्ष आठ से दस लाख की आमदनी अर्जित कर शिक्षित युवाओं के लिए प्रेरणा की मिसाल कायम कर रहा है।





उपमंडल सुंदरनगर के पलौहटा गांव के प्रगतिशील किसान संजय कुमार ने हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी से एमकॉम की डिग्री हासिल की है। माता-पिता पारंपरिक खेती-बाड़ी करते थे। उनकी रूचि भी खेती-बाड़ी में बहुत थी। 5 साल विदेश में नौकरी करने के बाद संजय ने विदेश में नौकरी छोड़ कर घर पर माता-पिता की पारंपरिक खेती को आधुनिक रूप से खेती करने का फैसला किया। उन्होंने केवीके सुंदरनगर से संपर्क किया और कृषि विभाग के सहयोग से 504 स्क्वायर मीटर का पॉलीहाउस तैयार किया। उन्होंने शुन्य लागत प्राकृतिक खेती शुरू कर दी। जिससे आज वह जहर मुक्त सब्जियों का व्यवसाय कर रहे हैं। खेती-बाड़ी के इस कार्य में उनकी धर्मपत्नी चंद्रेश, बेटा ऋषभ और उनकी बहन तनुजा पूर्ण सहयोग कर रहे हैं।




पॉलीहाउस लगाने के लिए उन्हें सरकार की तरफ से 85ः अनुदान के रूप में उपलब्ध हुआ। उन्होंने केवल 15ः ही खर्च किया है। उन्होंने 5 लाख 73 हजार रुपए की लागत के पॉलीहाउस में मात्र 90 हजार ही खर्च किए हैं। वर्तमान में उनकी सालाना आमदनी लगभग 8 से 10 लाख रुपए है। संजय कुमार ने बताया कि उनके साथ आसपास के गांव के लगभग 150 परिवार जुड़े हैं जो सब्जियों को को घर द्वार से ही ले जाते हैं। पॉली हाउस से वे ताजी सब्जी निकलते हैं जितनी ग्राहक की डिमांड होती है।




पॉलीहाउस में उगा रहे जहर मुक्त विदेशी सब्जियां।’

प्रगतिशील किसान संजय कुमार पॉलीहाउस में प्राकृतिक खेती के द्वारा बै-मौसमी विदेशी सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं। सब्जियों के लिए वह गौ मूत्र से बनाई गई स्प्रे ब खाद का इस्तेमाल करते है। रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों का प्रयोग वर्जित है। जिससे फसल जहर मुक्त होती है और इसका सेवन करने से किसी भी प्रकार की बीमारी से ग्रस्त होने का खतरा नहीं होता है। पॉलीहाउस में वह आइस बर्ग, केल, ब्रोकली, चाइनीस गोबी, फ्रेंच बीन्स, पत्ता गोभी, फूलगोभी, पालक, मटर, रेड कैब्बेज इत्यादि सब्जियां का उत्पादन कर रहे हैं।




’साल भर होता है उत्पादन, नहीं पड़ता आपदा का असर।’

संजय कुमार ने बताया कि पॉलीहाउस खेती करने के कई फायदे हैं एक तो प्राकृतिक आपदा, बारिश, अधिक तापमान और पाला जैसी समस्याओं से उन्होंने निजात पा ली है, वहीं इसमें तापमान को नियंत्रण कर साल भर उत्पादन लिया जा रहा है। इसमें उच्च गुणवत्ता वाली सब्जियों का उत्पादन किया जा रहा है।




’संजय कुमार को मिला सम्मान।’

प्राकृतिक खेती करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा जुलाई 2021 में प्रगतिशील किसान संजय कुमार को कृषि पुरस्कार से भी नवाजा गया है। जिसमें एक लाख रुपए का नगद पुरस्कार तथा प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किया गया।




’आधुनिक तकनीक से संचालित पॉलीहाउस।’

पॉलीहाउस में वातावरण की प्रतिकूल परिस्थितियों में भी खेती करने के लिए पूरी व्यवस्था की गई है। सिंचाई के लिए 60 हजार लीटर क्षमता का एक अंडर ग्राउंड पानी का टैंक घर के ही आंगन में बनाया गया है, जिसे वर्षा जल से भर लिया जाता है और बाद में समय-समय पर पॉलीहाउस में सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया जाता है पॉलीहाउस में सिंचाई के लिए ड्रिपिंग सिस्टम लगाया गया है तथा मई जून के महीने में जब तापमान 40 डिग्री से भी ऊपर चला जाता है तब तापमान नियंत्रण के लिए फॉगर सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है।




’पॉलीहाउस बनाने के लिए राज्य सरकार दे रही 85 प्रतिशत सब्सिडी।’

पॉलीहाउस योजना के अंतर्गत पॉलीहाउस का निर्माण करने पर किसानों को मात्र 15 प्रतिशत पैसा खर्च करना होता है,बाकी की राशि सरकार की तरफ से अनुदान के रूप में मिलती है। योजना का लाभ लेने के लिए किसान को कृषि विभाग में आवेदन करना होता है।

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