शिक्षा

एसएफआई ने शिक्षा नीति पर उठाए सवाल, बिना प्रवेश परीक्षा हुए दाखिले रद्द करने की मांग

शिमला। एसएफआई हिमाचल प्रदेश राज्य कमेटी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर निर्वाचन सभा ( conclave) का आयोजन किया गया जिसमें महाविद्यालयों व विश्वविद्यालय के छात्रों व अभिवावकों ने भाग लिया। एस एफ आई महासचिव मीयुक विश्वास ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर विस्तार से बात रखी। उन्होंने कहा राष्ट्रीय शिक्षा नीति गैर – लेकतान्त्रिक तरिके से बिना संसद मे चर्चा किए तैयार की गयी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीती पूरी तरह से छात्र विरोधी है। इस नीती के द्वारा छात्रों को शिक्षा से वंचित किया जाएगा राष्ट्रीय शिक्षा नीती के तहत शिक्षा के क्षेत्र मे निजीकरण और शिक्षा के व्यापरीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है। वही दूसरी और शिक्षा मे शोध को भी ख़त्म किया जा रहा है। इस नीती के माध्यम से फाउंडेशन स्टेज मे प्री – नर्सरी की बात की गयी है जो की 3 वर्ष से 8 वर्ष तक के बच्चों के लिए है इसमें आँगनबाड़ी को इमर्ज करके आंगनबाड़ी को भी कमज़ोर करके ख़त्म करने की कोशिश की जा रही है। यह नीति छात्रों को शिक्षा से वंचित करने वाली है। छात्रों को राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय भाषा (हिंदी – इंग्लिश )न सिखाते मात्र क्षेत्रीय भाषा पर जोर दिया गया है जो की आने वाले समय मे छात्रों के भविष्य मे और समस्याए उत्पन्न करेगा। इसके साथ छात्रों को वोकेशनल मे लकड़ी, बागवानी, मिट्टी के बर्तन इत्यादि सिखाया जाएगा जोकि छात्र के सम्पूर्ण विकास और तर्कशक्ति तथा बुद्धिमता को बढ़ावा देने से कहीं सम्बन्ध नहीं रखता।


इसके साथ -साथ चॉइस सिस्टम के साथ छात्र को आर्ट्स के साथ साइंस के सब्जेक्ट पढ़ेगा और कॉमर्स के साथ साइंस और आर्ट्स के सब्जेक्ट जो की छात्र की किसी भी एक भी स्ट्रीम मे स्पेशलाइजेशन नहीं होगी। इसका खामियाजा हिमाचल प्रदेश मे छात्र 2013 मे RUSA और सीबीसीएस के माध्यम से भुगत चुके हैंं।


इसके साथ – साथ महाविद्यालयों मे डिग्री पूरी करने की अवधि 4 वर्ष की हो जाएगी जिसमें अगर छात्र एक वर्ष तक पढ़ाई करता है तो सर्टिफिकेट और 2 वर्ष पढ़ाई करता है तो एडवांस डिप्लोमा और 3 बर्ष के बाद डिग्री और 4 बर्ष के बाद बैचलर डिग्री दी जाएगी जो की छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। जहा सरकार को शिक्षा के स्तर को और सुदृढ़ बनाना था वही इस नीती के माध्यम से शिक्षा के स्तर को गिरा रही है। बहुत से छात्रों व अभिवावकों ने चर्चा में भाग लिया ।


इसके साथ SFI ने प्रदेश विश्वविद्यालय मे पीएचडी मे बिना प्रवेश परीक्षा के हुए दाखिलों को रद्द करने की मांग की। बिना प्रवेश परीक्षा के दाखिले से शोध की गुणवत्ता मे कमी आएगी हम साफ तौर देख सकते है कि जो प्रवेश परीक्षा पास नहीं कर सकते वो किस तरिके का शोध करने सक्षम होंगे विश्वविद्यालय कुलपति काबिल छात्रों को दरकिनार करके अपने चहेतों को पीएचडी मे प्रवेश दे रहे है SFI इसका कड़ा विरोध करती है और बिना प्रवेश परीक्षा के दाखिले जल्द से जल्द रद्द और NEP 2020 को वापिस नहीं लिया गया तो SFI आने वाले इस प्रदर्शन को और तेज़ करते हुए उग्र आंदोलन करेगी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button