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हिमाचल प्रदेश के कोठाकोठी गांव में एक व्यक्ति रहता था, जिसका नाम बंडारू था। यह गांव अपनी खूबसूरती और शांत माहौल के लिए मशहूर था, लेकिन बंडारू के व्यवहार के कारण वहां अक्सर तनाव और झगड़े होते रहते थे। बंडारू को लोगों के बीच फूट डालने में मजा आता था। वह भाई-भाई में लड़ाई करा देता, पड़ोसियों को आपस में भिड़ा देता, और घरों में कलह पैदा कर देता। उसे लगता था कि दूसरों के जीवन में अशांति फैलाकर वह खुद को ताकतवर महसूस कर सकता है।
बंडारू की साजिशें
गांव में कोई भी उत्सव हो, बंडारू वहां जरूर पहुंचता था। लेकिन उसका मकसद हमेशा लोगों के बीच झगड़े करवाना होता था। वह छोटी-छोटी बातों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करता और इस तरह से बातों को इतना बिगाड़ देता कि लोग एक-दूसरे के दुश्मन बन जाते। एक बार उसने गांव के दो भाइयों, रामू और श्यामू, के बीच इतना बड़ा झगड़ा करवा दिया कि दोनों ने एक-दूसरे से बात करना तक बंद कर दिया।
दूसरों का बुरा, खुद का भला?
बंडारू को इस बात का जरा भी पछतावा नहीं होता था। उसे लगता था कि दूसरों की परेशानियों से उसका कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन उसे यह समझ नहीं आता था कि जो दूसरों का बुरा करता है, उसका भला कभी नहीं हो सकता।
समय ने करवट ली
समय बीतता गया और बंडारू का जीवन धीरे-धीरे बदलने लगा। एक दिन वह घर के आंगन में चल रहा था कि अचानक फिसलकर गिर पड़ा। इस गिरने के बाद उसका स्वास्थ्य बिगड़ने लगा। वहीं, उसके घर में भी क्लेश बढ़ने लगा।
परिवार में तनाव
बंडारू के बेटे रणजोध और उसकी पत्नी के बीच रोज झगड़े होने लगे। बंडारू के परिवार में हर समय अशांति छाई रहती थी। एक दिन, किसी बात को लेकर रणजोध ने बंडारू को इतना अपमानित किया कि वह अंदर से टूट गया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर उसके जीवन में ऐसा क्या हो रहा है।
ज्योतिषी का परामर्श
अपनी समस्याओं का समाधान खोजने के लिए बंडारू ने गांव के प्रसिद्ध ज्योतिषी, पंडित मनोहर लाल शास्त्री जी, के पास जाने का निर्णय लिया। पंडित जी ने बंडारू की कुंडली देखी और कहा, “जो दूसरों का बुरा करता है, उसका भला कभी नहीं होता। तुम्हारे अपने कर्म ही तुम्हारे जीवन में अशांति और कष्ट का कारण हैं।”
पश्चाताप और बदलाव
पंडित जी की बातों ने बंडारू को सोचने पर मजबूर कर दिया। उसे एहसास हुआ कि दूसरों के जीवन में अशांति फैलाने से उसे कभी खुशी नहीं मिल सकती। उसने अपनी गलतियों को स्वीकार किया और लोगों से माफी मांगने का निश्चय किया।
नया जीवन
बंडारू ने अपने व्यवहार को पूरी तरह बदलने की ठानी। उसने उन सभी से माफी मांगी, जिनके जीवन में उसने कष्ट पहुंचाया था। गांव के लोगों ने धीरे-धीरे उसे माफ कर दिया और उसे फिर से अपनाया। बंडारू अब एक बदले हुए इंसान के रूप में गांव के लिए प्रेरणा बन गया। वह अब लोगों को जोड़ने का काम करता था और गांव में शांति और सद्भाव बनाए रखने में मदद करता था।
निष्कर्ष
यह कहानी हमें सिखाती है कि जो दूसरों का बुरा करता है, उसे कभी सुख-शांति नहीं मिलती। बंडारू के जीवन का परिवर्तन इस बात का उदाहरण है कि समय और कर्म का प्रभाव हर किसी पर पड़ता है। अगर हम दूसरों का भला करेंगे, तो हमारा जीवन भी सुखद और शांतिपूर्ण रहेगा।