कांगड़ा। आम आदमी पार्टी के सदस्य्ता अभियान के प्रदेश-अध्यक्ष राजीव अम्बिया ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री पद या मुख्यमंत्री पद की एक गरिमा होती है जिसके प्रति सभी नागरिकों को सम्मान प्रकट करना ही चाहिए, लेकिन यदि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री जैसे महत्वपूर्ण पदों पर किसी को भी उठाकर बिठा दिया जाए जिन्हें बाज़ार में आलू,प्याज के दाम तक न मालूम हों, जिन्हें आलू, प्याज के दाम बढ़ने से कोई फर्क न पड़े और जिन्हें यह भी पता न हों कि आलू,प्याज, आदि के दाम बढ़ने, घटने से नागरिकों पर, सरकार पर, देश की अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा, ऐसे व्यक्तियों के प्रति आप कबतक चुप्पी साध सकते हैं और क्यों ?
अम्बिया ने कहा कि देश में जब भी किसान, गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई, शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा आदि की बात होती है सरकार समर्थक द्वारा उन्हें नागरिक मानने से ही इंकार करना या उसके एवज़ कुतर्क करना क्या यह न्यायपूर्ण है ? क्या फर्क पढ़ जाएगा यदि सरकार का एक मंत्री किसानों से मिलने जाकर उनकी बातें सुन लेगा तो ? क्या फर्क पड़ जायेगा यदि सरकार बैठ कर अपने देश या प्रदेश के नागरिकों की बात सुन ले, उन्हें खालिस्तानी, आतंकवादी, कांग्रेसी, वामपंथी घोषित करने में जितनी ऊर्जा, खर्चा लगा रहे हैं उससे बेहतर उनकी समस्याएं सुन ली जाए। सरकार का ही कद बढ़ेगा ? यह पहला मौका नहीं बल्कि इसी सरकार में लगभग चौथी, पांचवीं बार किसानों,कर्मचारियों ,बेरोजगारों का ऐसा बड़ा आन्दोलन हो रहा है,सिर्फ यही नहीं बल्कि कई ऐसे आंदोलन काफी लंबे समय से चलते आ रहे हैं ।
अम्बिया ने कहा कि ऐसे प्रतीत होता है कि देश में एक शीत युद्ध जैसे हालात है। हर बार कोई न कोई लांछन, आरोप, कुतर्क करके सोशल मीडिया, मीडिया आदि में फैलाया जाता है। दूसरी तरफ देश की जनता को भी चाहिए की पद की गरिमा का ख्याल रखें। आजकल सोशल मीडिया में किसी के लिए भी कुछ भी लिख दिया जाता है
यह विषय ज्यादा सोचनीय है। देश की गरिमा देश का गौरव दोनों ही है। देश की जनता व देश के प्रधानमंत्री/ मुखयमंत्री और दोनों के बीच सामजस्य होना चाहिए। दोनों को एक दूसरे का ख्याल रखने की जरूरत है । यदि देश का मुखिया देश का दिल है तो देश के किसान देश की जान हैं देश का आधार है तो देश की जनता बच्चे हैं यदि बार-बार वाकई यह आंदोलन किसी अराजक तत्वों द्वारा चलाया जा रहा तो सरकार की खुफिया एजेंसियां क्या कर रही है ? सरकार खुद क्या कर रही है ? सीधे प्रधानमंत्री/मुख्यमंत्री को सामने आकर एक -एक साक्ष्य देश के सामने रखने चाहिित और इनको सीधे जेल में होना चाहिए ? इतनी अराजकता, अव्यवस्था वाली सरकार अबतक किसी भी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची बस हर आवाज को बदनाम करके निकल जाती है।
प्रधानमंत्री जैसे व्यक्ति यदि हर विषय पर यह सोचने लगे कि यह विरोधियों की चाल है या मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कोई कुछ भी बोले तो यकीनन वह एक ऐसा व्यक्तित्व है जिसे आपकी दाल-रोटी से कोई मतलब नहीं है। वह खुश है केवल अपने किरदार से। शायद उसी का परिणाम देश की जीडीपी, बेरोजगारी एक स्पष्ट आईना है। एक तरफ हम इनको देश का गौरव मानते हैं दूसरी तरफ यही नेता पक्ष व प्रतिपक्ष सदन के अंदर किस भाषा का प्रयोग करते है सोचनीय है ,देश में नेता कैसा होगा या होना चाहिए यही आमजन को सोचना होगा निजिहित को छोड़ देशहित को देखना होगा।अपने वोट की कीमत को पहचान कर अपने देश वासियों व देश का भविष्य खुद तय करना होगा।