शिमला, मंडी, लाहौल-स्पीतिहिमाचल

लाहौल घाटी में आपदा ने ढाया कहर, सरकार ने फंसे पर्यटकों को निकाला

केलांग । गत दिनों लाहौल घाटी के उदयपुर क्षेत्र में आई भीषण बाढ़ और भारी बारिश के चलते जो आपदा पैदा हुई थी उसे प्रशासन, पुलिस और स्थानीय लोगों के संयुक्त प्रयासों से पार पाने में पूरी मदद मिली और फंसे हुए सभी लोगों को सुरक्षित निकाला। इस दौरान स्वयं तकनीकी शिक्षा, जनजातीय विकास एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ रामलाल मारकंडा भी राहत और बचाव के अग्रिम मोर्चे पर डटे रहे। रविवार को उन्होंने भारी बारिश से प्रभावित मयाड़ घाटी का भी जायजा लिया और प्रभावितों से मिले।  क्षेत्र के विशेषकर महिला मंडल, युवक मंडल और स्थानीय स्वयंसेवियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया और क्षेत्र में फंसे पर्यटकों व अन्य लोगों को ना केवल ठहरने और भोजन इत्यादि की व्यवस्था करने में प्रशासन से जुड़कर अपनी अहम भूमिका निभाई बल्कि उन्हें सुरक्षित निकालने में भी प्रशासन का पूरा सहयोग किया।



गौरतलब है कि इस क्षेत्र में दशकों बाद इस तरह का अप्रत्याशित मौसम बना और घाटी के पुलों और सड़कों को भारी क्षति पहुंचाई। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर बाढ़ के बाद पैदा हुई स्थिति और बचाव कार्यों की लगातार फीडबैक लेते रहे। प्रदेश में चल रहे खराब मौसम के बावजूद मुख्यमंत्री ने ना केवल लाहौल घाटी का दौरा किया बल्कि अधिकारियों के साथ नुकसान को लेकर समीक्षा बैठक भी की। राज्य सरकार ने नए हेलीकॉप्टर की पहली सेवा जनजातीय क्षेत्र के लिए मुहैया  की ताकि घाटी में फंसे पर्यटकों व अन्य लोगों को सुरक्षित निकाला जा सके। ये इसी का परिणाम रहा कि रविवार तक प्रारंभिक रिपोर्ट के मुताबिक बाढ़ और बारिश के चलते उदयपुर क्षेत्र में विभिन्न जगहों पर फंसे सभी लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है।



उपायुक्त लाहौल- स्पीति नीरज कुमार ने कहा कि खोज एवं राहत कार्यों को अंजाम देने में एनडीआरएफ, आइटीबीपी, पुलिस और होम गार्ड्स की भी सक्रिय भूमिका रही। बीआरओ बाधित हुई मुख्य सड़क को बहाल करने में जुटा हुआ है। जिला प्रशासन मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार सड़क बहाली के काम की निरंतर मॉनिटरिंग कर रहा है। उन्होंने कहा कि उदयपुर घाटी में बहने वाले नालों का कैचमेंट एरिया ऐसे क्षेत्र में है जहां ग्लेशियर झील भी है। ऐसे में आने वाले समय में इस क्षेत्र का ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड यानी (ग्लॉफ) के नजरिए से भी अध्ययन करवाया जाएगा ताकि  खतरे का कुछ हद तक पूर्व अनुमान मिल सके।</div


पुलिस अधीक्षक मानव वर्मा ने  बताया कि बारिश और बाढ़ के कारण उदयपुर क्षेत्र में मोबाइल नेटवर्क भी बाधित हो गया था। इस परिस्थिति में पुलिस द्वारा संचार व्यवस्था को कायम रखने के लिए  वी-सेट आधारित सुविधा का प्रयोग किया ताकि आपदा प्रबंधन में कम्युनिकेशन बरकरार रहे। इसके अलावा डाटा संग्रहण के लिए पोल नेट टेक्नोलॉजी का भी इस्तेमाल किया गया। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में वीडियो सुविधा युक्त वी-सेट की ज्यादा उपलब्धता की दिशा में भी कार्य किया जाएगा।

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