सोलन, सिरमौर, ऊनाहिमाचल

कुटलैहड़ नहीं देखा, तो क्या देखा : करोड़ों की परियोजनाओं से मिलेगा रोजगार

ऊना । चंडीगढ़ व पंजाब के साथ सटा होने के चलते ऊना जिला का कुटलैहड़ विस क्षेत्र वीकेंड पर्यटन गतिविधियों को केंद्र बन कर उभर रहा है। कुटलैहड़ के प्राकृतिक नजारे व मजबूत होता आधारभूत ढांचा पर्यटकों के लिए आकर्षण के केंद्र के रूप में प्रसिद्ध होते जा रहा है। यहां आकर हर कोई कहता है “कुटलैहड़ नहीं देखा तो क्या देखा”।



कुटलैहड़ में जल क्रीड़ाओं के लिए विशाल गोबिंद सागर झील है तथा इस झील में बोटिंग व अन्य साहसिक खेलों की गतिविधियां आयोजित करने के लिए बीबीएमबी से अनुमति मिल गई है। अंदरौली में गोबिंद सागर झील में जल क्रीड़ाओं के आयोजन के लिए वॉटर स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स बनाया जाएगा तथा यहां आने वाले पर्यटकों के लिए मूलभूत सुविधाएं जुटाई जाएंगी, जिस पर कार्य शुरू हो चुका है। जल्द ही गोविंद सागर झील की लहरों पर रोमांच का खेल शुरू होगा, जिससे युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे तथा कुटलैहड़ में आर्थिक समृद्धि का द्वार खुलेगा। कुटलैहड़ में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कुटलैहड़ टूरिज्म डेवलेपमेंट सोसाइटी (केटीडीएस) का गठन किया गया है, जिसके अध्यक्ष उपायुक्त ऊना हैं। कुटलैहड़ से विधायक एवं ग्रामीण विकास, पंचायती राज, कृषि, मत्स्य तथा पशु पालन मंत्री वीरेंद्र कंवर कहते हैं “कुटलैहड़ में साहसिक पर्यटन के साथ-साथ धार्मिक पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। यहां पर आसरी गुफा, ब्रह्र्मोती मंदिर, जमासणी माता मंदिर, सदाशिव मंदिर, चामुखा मंदिर, पीर गौंस पाक तथा पिपलू में भगवान नरसिंह  का प्राचीन मंदिर है। कुटलैहड़ को धार्मिक पर्यटन के लिहाज से विकसित करने की योजनाएं अंतिम चरण में हैं जिससे यहां के धार्मिक महत्व वाले स्थानों को विकसित किया जाएगा। इसके अलावा यहां पर सोलह सिंगी धार के प्रसिद्ध किले  भी हैं, जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहे हैं। सरकार इन्हीं स्थानों को सुविधा संपन्न बनाकर पर्यटन को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है।”



कुटलैहड़ के जाने-माने तीर्थ स्थल ब्रह्मौती के लिए सड़क, स्नानघाट व शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाओं का निर्माण किया गया। उसी को आगे बढ़ाते हुए अब इस स्थान के सौंदर्यीकरण का कार्य भी किया जाना प्रस्तावित है जिससे कुटलैहड़ में धार्मिक पर्यटन की संभावनाओं को बल मिल सके। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर इस ओर अपने अथक प्रयासों से सफलता की ओर अग्रसर हैं।



इसके साथ ही सोलहसिंघी धार के पुराने किले हैं व पर्यटक यहां तक सुगमता व आनंद से पहुंच सकें, इसके लिए डोहगी से किले तक ट्रैकिंग रूट यानी पर्यटन मार्ग का निर्माण किया जाना है। पर्यटकों को प्रकृति का समीप से अनुभव मिल सके, इसके लिए 70 लाख रुपए की लागत से सोलहसिंगी धार के कोट में व 70 लाख रुपए की लागत से ही घरवासड़ा में विश्राम गृह का निर्माण किया गया है जिनका जल्द ही लोकार्पण किया जाएगा। घरवासड़ा-चोगाठ में तालाब निर्मित कर उस क्षेत्र का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है तथा परोईयां कलां-घरवासड़ा के लिए ट्रैकिंग रूट भी तैयार किया जा रहा है।



वीरेंद्र कंवर कहते हैं “कुटलैहड़ में मनरेगा के माध्यम से जगह-जगह आधुनिक जन सुविधा युक्त वर्षा शालिकाओं का निर्माण किया जा रहा है। कुटलैहड़ के टीहरा में हैलीपैड के निर्माण के लिए भी 50 लाख रुपए की पहली किस्त मिल चुकी है। इसके साथ ही बंगाणा में 80 लाख रुपए लागत से भव्य इकोपार्क भी लगभग बनकर तैयार हो चुका है। पर्यटन के साथ-साथ अपनी संस्कृति व कला को सहेज कर रखना भी आवश्यक है। इसके लिए 12 करोड़ रुपए की लागत से समूर में भाषा व संस्कृति केंद्र स्थापित किया गया है। “








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