Corona : चारधाम यात्रा कोरोना के कारण स्थगित
देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यसमंत्री सीएम तीरथ सिंह रावत ने गुरुवार को चारधाम यात्रा स्थगित करने की घोषणा की है। उन्होंीने कहा है कि कपाट खुलेंगे और सिर्फ पूजा अर्चना होगी। तीरथ सिंह ने कहा कि कोविड के हालात में यात्रा संभव नहीं है। आपको बता दें कि आगामी 14 मई को यमुनोत्री मंदिर के कपाट खुलने के साथ चार धाम यात्रा शुरू होनी थी। पिछले साल भी उत्तहराखंड सरकार ने कोरोना महामारी के चलते चार धाम यात्रा को मई में रोक दिया था। इसके बाद राज्य सरकार ने 1 जुलाई से श्रद्धालुओं के लिए चार धाम यात्रा शुरू की थी। जुलाई के अंतिम सप्ताह में राज्य सरकार ने कुछ शर्तों के साथ अन्य राज्यों के श्रद्धालुओं को चार धाम यात्रा पर आने की अनुमति दी थी।
चारधाम यात्रा स्थगित होने के फैसले के बाद होटल बुकिंग्स का कैंसिल होना तय माना जा रहा है, जो श्रद्धालुओं ने चारधाम यात्रा को लेकर करवाई हैं। इनमें गढ़वाल मंडल विकास निगम समेत प्राइवेट होटल्स की बुकिंग भी शामिल हैं। इस साल जनवरी से मार्च तक के हालात को देखते हुए लोगों को उम्मीद थी कि चारधाम यात्रा बेरोकटोक होगी, लेकिन अप्रैल में बढ़े कोरोना के मामलों ने साल 2020 की तरह इस बार भी शुरुआत में ही कैंसिल कर दिया। गौरतलब है कि साल 2020 में कोरोना की वजह से करीब 3 लाख 10 हज़ार श्रद्धालुओं ने ही दर्शन किए और यात्रा जुलाई 2020 के दूसरे हफ्ते में शुरू हुई थी। वहीं साल 2019 में रिकॉर्ड 32 लाख लोगों चारधाम यात्रा में दर्शन किए थे।
चारधाम यात्रा को स्थगित करने को लेकर पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने वीडियो संदेश जारी किया है।
कुंभ को भी कोरोना के बढ़ते केस के चलते पहले कर दिया खत्म
कुंभ को भी कोरोना के बढ़ते केस के चलते पहले कर दिया खत्मू आपको बता दें कि देशभर में कोविड मामलों में हो रही बेतहाशा वृद्धि के कारण कई अखाड़ों ने कुंभ पहले ही खत्मप करने के ऐलान के बाद मंगलवार को चैत्र पूर्णिमा के अवसर पर हरिद्वार महाकुंभ का आखिरी शाही स्नान फीका रहा, जहां सभी 13 अखाडों के करीब 2000 साधु-संतों ने प्रतीकात्मक रूप से हर की पैडी पर गंगा में आस्था की डुबकी लगाई। अधिकारियों ने बताया कि कुंभ के चौथे और आखिरी शाही स्नान में सभी 13 अखाडों के करीब 2000 संतों ने मुख्य स्नान घाट हर की पैडी मोक्षदायिनी गंगा नदी में डुबकी लगाई।
कोरोनावायरस संक्रमण का खौफ घाट पर एक दूसरे से दूरी बनाकर स्नान कर रहे साधुओं को देखकर साफ नजर आ रहा था। हर की पैडी का मुख्य स्नान घाट शाही स्नान के कारण केवल अखाडे के साधुओं के लिए आरक्षित था। चौदह अप्रैल को मेष संक्रांति और बैसाखी पर हुए पिछले शाही स्नान के बाद 17 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुंभ को बाकी अवधि के लिए ‘प्रतीकात्मक’ रखने का अनुरोध किया था जिसे संतों ने स्वीकार कर लिया था।
हरिद्वार के विभिन्न स्नान घाटों पर पिछले शाही स्नान के बाद से ही भीड में काफी कमी आ गई थी। कोरोनावायरस संक्रमण के मामलों में हो रही वृद्धि का हवाला देते हुए कई प्रमुख अखाडों ने कुंभ से लौटना शुरू कर दिया था। कोविड संक्रमण के कारण कुंभ की अवधि एक अप्रैल से 30 अप्रैल निर्धारित की गई थी लेकिन इससे काफी पहले ही हरिद्वार का कुंभ क्षेत्र वीरान सा हो गया था। हरिद्वार की जोनल अधिकारी (अभिसूचना) सुनीता वर्मा ने बताया कि जूना, अग्नि, आवाहन, किन्नर, निरंजनी, आनंद, बडा उदासीन, निर्मल, नया उदासीन सहित सभी 13 अखाडों से जुडे करीब 2000 साधुओं ने गंगा स्नान किया। इससे पहले सुबह शाही स्नान शुरू होने से पूर्व कुंभ मेलाधिकारी दीपक रावत, मेला पुलिस महानिरीक्षक संजय गुंज्याल और कुंभ वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जन्मेजय खंडूरी ने हर की पैडी पर व्यवस्था का जायजा लिया।