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बिलासपुर में बच्ची से दरिंदगी में दस साल की कठोर कैद की सजा और जुर्माना

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बिलासपुर। जिला एवं सत्र न्यायधीश राकेश चौधरी की अदालत ने एक अहम फैसला सुनाते हुए दोषी जोगिन्द्र सिंह उर्फ जिन्दर पुत्र भज्जो राम, गांव व डाकघर घराण, तहसील झण्डूता, जिला बिलासपुर को धारा 6 पोक्सो एक्ट, 2021 के अंतर्गत 10 साल का कठोर कारावास व 2500 रुपये जुर्माना अदा न करने की सुरत में 3 महीने अतिरिक्त कठोर कारावास की सजा सुनाई है।


मामले की जानकारी देते हुए जिला न्यायावादी विनोद भारद्वाज, जिन्होंने इस मुकदमे का अभियोजन किया ने बताया कि 25 जुलाई, 2018 को शिकायताकर्ता ने पुलिस के पास अपना ब्यान धारा 154 अपराधिक प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत कलमबद्ध करवाया और बताया कि 25 जुलाई, 2018 को करीब 12ः30 बजे दिन घराण प्राइमरी स्कूल जो उनके घर से कुछ ही दूरी पर है वहां वट वृक्ष के साथ उनके बच्चे झूला झूलने गए थे पर कुछ देर बार उनका बेटा घर वापिस आ गया परंतु बेटी झूला झूलती रही। दोपहर करीब 2ः30 उसके गांव का जोगिन्द्र उर्फ जिन्दर उनकी बेटी को बेहोशी का हालत में उनके घर उठाकर लाया। बेटी को बेहोश देख कर शिकायकर्ता के ससुर जोकि मेडिकल विभाग में नौकरी करते हैं, ने इंजेक्शन लगाया तथा बेटी का हालत को देखकर अन्य लोग इक्ट्ठा हुए। करीब एक घण्टे के बाद शिकायकर्ता की बेटी को होश आया। होश आने पर बेटी से पूछताछ करने पर उसने पेट के नीचे दर्द बताया तथा जोगिन्द्र उर्फ जिन्दर जो वापिस जा रहा था, उसकी तरफ इशारा किया और बताया कि आरोपी ने उसे आम लाने के लिए नीचे ले गया व अपनी गोदी में बैठाया और उसके साथ गलत कृत्यय किया जिसके आधर पर प्राथमिकी (एफआईआर न. 92/18) बनाम 376(2)(एन)(एफ)(आई) आईपीसी व धारा 4, 6 पोक्सो एक्ट के तहत थाना तलाई में दर्ज की गई।

इस मुकदमें की प्रारम्भिक तफ्तीश जगदीश कुमार, सहायक अपनिरिक्षक ने की व इस मुकदमे में अहम सबूतों को इकट्ठा किया गया व दौराने अन्वेपण यह पाया गया कि दोषी जोगिन्द्र उर्फ जिन्दर की संलिप्तता पाई गई। सारे सबूत इकट्ठा करने पर माननीय अदालत मे चलान पेश किया गया।
जिला न्यायवादी ने बताया कि इस मुकदमें में अभियोजना पक्ष में 29 गवाह पक्ष में पेश किए। अभियोजन पक्ष के सभी गवाहों को सही ठहराते हुए व अभियोजन पक्ष के तर्कों को स्वीकार करते हुए बचाव पक्ष की दलीलों को नकारते हुए माननीय अदालत ने अभियुक्त जोगिन्द्र उर्फ जिन्दर को दोषी करार दिया। अभियोजना पक्ष की दलीलों को स्वीकार करते हुए माननीय अदालत ने दोषी को उपरोक्त सजा सुनाई।

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