शिक्षा
पढ़िए सुदंर कविताः भला रण कैसा जहां रार नहीं हो -डॉ एम डी सिंह
भला रण कैसा जहां रार नहीं हो
संबंध कैसे जहाँ तकरार नहीं हो
घट जाएगा रस यूँ तो जीने का
यदि मिली कभी कोई हार नहीं हो
बढ़ जाएगी यारों सुखों की चिंता
यदि दुख लेने को तैयार नहीं हो
सुमन सुकोमल भी ना छू पाए दिल
संग जो उसके परिभाषित खार नहीं हो
सुनें तब तक हास परिहास अधूरे
जब तक आंसू की बौछार नहीं हो !
डॉ एम डी सिंह