स्वास्थ्य

हिमाचल में स्क्रब टायफस का खतरा, जानिये कैसे बचें इस बीमारी से

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शिमला। हिमाचल प्रदेश में कोविड-19 महामारी के बाद अब स्क्रब टायफस का खतरा दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। बता दें कि राजधानी शिमला में स्थित आईजीएमसी में अब तक 5 मरीज इस बीमारी के कारण दम तोड़ चुके हैं। तो वहीं 284 लोग इस बीमारी से संक्रमित हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग लोगों को इस बारे में लगातार जानकारी दे रहा है।  बरसात के दिनों में स्क्रब टाइफस अकसर अपने पांव पसारता है। स्क्रब टाइफस एक जीवाणु जनित संक्रमण है जो अनेक लोगों की मृत्यु का कारण बनता है और इसके लक्षण चिकनगुनिया जैसे ही होते हैं। स्क्रब टाइफस बीमारी की शुरुआत सिरदर्द और ठंड के साथ बुखार से हो सकती है। रोग बिगड़ने पर मरीज का बुखार तेज हो जाता है और सिरदर्द भी असहनीय होने लगता है। यह रोग हल्के-फुल्के लक्षणों से लेकर अंगों की विफलता तक का भी कारण बन सकता है। कुछ मरीजों में पेट से शुरू हुई खुजली या चकत्ता अन्य अंगों तक फैलने लगता है। कई बार तो यह चेहरे पर भी हो जाता है। इस बीमारी में शरीर में ऐंठन व अकड़न जैसे लक्षण भी देखने को मिलते हैं। अधिक संक्रमण होने पर गर्दन, बाजूओं के नीचे व कूल्हों के ऊपर गिल्टियां हो जाती हैं।



स्क्रब टायफस के लक्षणों की जांच करते समय मलेरिया, डेंगू, लेप्टोस्पायरोसिस आदि रोगों से भी तुलना की जाती है। यह बीमारी 6 से 21 दिनों तक सुप्तावस्था में रहती है, फिर दो से तीन सप्ताह तक रहती है। शुरुआत में बुखार, सिरदर्द और खांसी संबंधी लक्षण होते हैं। हल्के संक्रमण वाले मरीज बिना किसी अन्य लक्षण के ठीक हो सकते हैं।
कैसे फैलता है रोग
स्क्रब टायफस का बुखार खतरनाक जीवाणु जिसे रिकटेशिया (संक्रमित माइट, पिस्सू) के काटने से फैलता है। यह जीवाणु लंबी घास व झाड़ियों में रहने वाले चूहों के शरीर पर रहने वाले पिस्सुओं में पनपता है और इन पिस्सुओं के काटने से यह बीमारी होती है। इस बीमारी के होने का खतरा उन लोगों को अधिक होता है, जो बरसात के दिनों में खेती-बाड़ी या कृषि संबंधी कार्य करने के लिए खेतों में जाते हैं।



कैसे करे इस रोग से बचाव
स्क्रब टाइफस बीमारी से बचाव के लिए पूरी आस्तीन के कपड़े पहनकर खेतों में जाएं, क्योंकि स्क्रब टाइफस फैलाने वाला पिस्सू शरीर के खूले भागों को ही काटता है। घरों के आस-पास खरपतवार इत्यादि न उगने दें व शरीर की सफाई का विशेष ध्यान रखें। खुली त्वचा को सुरक्षित रखने के लिए माइट रिपेलेंट क्रीम का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
क्या कहते हैं सीएमओ
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर रमण कुमार शर्मा ने कहा कि इस बुखार को जोड़-तोड़ बुखार भी कहा जाता है। यह संक्रामक रोग नहीं है यानी एक आदमी से दूसरे को नहीं होता है और इसका इलाज भी बहुत आसान है। आजकल लगातार बुखार आने पर तुरंत चिकित्सक को दिखाएं और बुखार को हलके में न लें। बुखार चाहे कैसा भी हो नजदीक के स्वास्थ्य संस्थान में संपर्क करें। उन्होंने कहा कि इसका इलाज सभी सरकारी संस्थानों में निशुल्क उपलब्ध है।



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