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करवा चौथ व्रत कथा : साहूकार के सात लड़के, एक लड़की की कहानी

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करवा चौथ । पति की दीर्घायु के लिए किए जाने वाला यह व्रत इस बार खास योग लेकर आ रहा है। ज्योतिषाचार्य कैलाश चंद्र सेमवाल का कहना है कि करवाचौथ 24 अक्टूबर दिन रविवार को सर्वार्थ सिद्धि और धाता योग में मनाया जाएगा। शास्त्रों के वचनानुसार सौभाग्यवती महिलाएं अखंड सौभाग्य एवं अपने पति की दीर्घायु, उत्तम स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए यह व्रत करती हैं। इस दिन कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी प्रातःकाल सूर्योदय से अगली प्रातः 5: 45 बजे तक रहेगी। इस बार चतुर्थी को रोहिणी नक्षत्र का भी योग बन रहा है। रोहिणी नक्षत्र के दिन करवाचौथ का होना भी बहुत शुभ माना गया है। यह महिलाओं के सौभाग्य की वृद्धि करता है। इस दिन वृषभ के चंद्रमा जो उनकी अपनी उच्च राशि है उसमें पूरे दिन विराजमान रहेंगे। इस कारण करवाचौथ का व्रत धाता एवं सर्वार्थ सिद्धि योग, वृषभ राशि (उच्च) का चंद्रमा और रोहिणी नक्षत्र में मनाया जाएगा।

करवा चौथ व्रत कथा :

एक साहूकार के सात लड़के और एक लड़की थी। एक बार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सेठानी सहित उसकी सातों बहुएं और उसकी बेटी ने भी करवा चौथ का व्रत रखा। रात्रि के समय जब साहूकार के सभी लड़के भोजन करने बैठे तो उन्होंने अपनी बहन से भी भोजन कर लेने को कहा। इस पर बहन ने कहा- भाई, अभी चांद नहीं निकला है। चांद के निकलने पर उसे अर्घ्य देकर ही मैं आज भोजन करूंगी।
साहूकार के बेटे अपनी बहन से बहुत प्रेम करते थे, उन्हें अपनी बहन का भूख से व्याकुल चेहरा देख बेहद दुख हुआ। साहूकार के बेटे नगर के बाहर चले गए और वहां एक पेड़ पर चढ़ कर अग्नि जला दी। घर वापस आकर उन्होंने अपनी बहन से कहा- देखो बहन, चांद निकल आया है। अब तुम उन्हें अर्घ्य देकर भोजन ग्रहण करो। साहूकार की बेटी ने अपनी भाभियों से कहा- देखो, चांद निकल आया है, तुम लोग भी अर्घ्य देकर भोजन कर लो। ननद की बात सुनकर भाभियों ने कहा- बहन अभी चांद नहीं निकला है, तुम्हारे भाई धोखे से अग्नि जलाकर उसके प्रकाश को चांद के रूप में तुम्हें दिखा रहे हैं।
साहूकार की बेटी अपनी भाभियों की बात को अनसुनी करते हुए भाइयों द्वारा दिखाए गए चांद को अर्घ्य देकर भोजन कर लिया। इस प्रकार करवा चौथ का व्रत भंग करने के कारण विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश साहूकार की लड़की पर अप्रसन्न हो गए। गणेश जी की अप्रसन्नता के कारण उस लड़की का पति बीमार पड़ गया और घर में बचा हुआ सारा धन उसकी बीमारी में लग गया।
साहूकार की बेटी को जब अपने किए हुए दोषों का पता लगा तो उसे बहुत पश्चाताप हुआ। उसने गणेश जी से क्षमा प्रार्थना की और फिर से विधि-विधान पूर्वक चतुर्थी का व्रत शुरू कर दिया। उसने उपस्थित सभी लोगों का श्रद्धानुसार आदर किया और तदुपरांत उनसे आशीर्वाद ग्रहण किया। इस प्रकार उस लड़की के श्रद्धा-भक्ति को देखकर एकदंत भगवान गणेश जी उसपर प्रसन्न हो गए और उसके पति को जीवनदान प्रदान किया। उसे सभी प्रकार के रोगों से मुक्त करके धन, संपत्ति और वैभव से युक्त कर दिया।Birthday

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