करवा चौथ : पूरी श्रद्धा से कीजिये व्रत, इस बार है अद्भुत संयोग
करवा चौथ 2020 । पति की दीर्घायु के लिए किए जाने वाला यह व्रत इस बार खास योग लेकर आ रहा है। ज्योतिषियों का कहना है कि इस बार बुधवार को करवा चौथ है, जिस दिन बुध ग्रह का विशेष योग बन रहा है। इससे पति-पत्नी में प्रेम बढ़ेगा। इस बार यह व्रत सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत योग के साथ बुध का विशेष संयोग लेकर आ रहा है। यह योग पति के लिए दीर्घायु कारक भी रहेगा।
ज्योतिषाचार्य कैलाश चंद्र सेमवाल का कहना है कि इस बार करवाचौथ का व्रत और पूजन बहुत विशेष है। 70 साल बाद ऐसा योग बन रहा है। इस दिन रोहिणी नक्षत्र और मंगल का योग एक साथ आ रहा है। करवाचौथ पर रोहिणी नक्षत्र का संयोग होना अपने आप में एक अद्भुत योग है। ज्योतिष के अनुसार यह योग करवाचौथ को और अधिक मंगलकारी बना रहा है। इससे करवा चौथ व्रत करने वाली महिलाओं को पूजन का फल हजारों गुना अधिक मिलेगा। ज्योतिषाचार्य कैलाश चंद्र सेमवाल का कहना है कि इस बार करवा चौथ पर मार्कण्डेय और सत्यभामा योग बन रहा है। यह योग चंदमा की 27 पत्नियों में सबसे प्रिय पत्नी रोहिणी के साथ होने से बन रहा है। पति के लिए व्रत रखने वाली सुहागिनों के लिए यह बेहद फलदायी होगा।
श्रीकृष्ण-सत्यभामा के मिलन के समय का योग
ऐसा योग भगवान श्रीकृष्ण और सत्यभामा के मिलन के समय भी बना था। यह योग न केवल कुछ ही समय के लिए बल्कि पूरे दिन के लिए बन रहा है, जिसमें करवा चौथ का व्रत रखने पर महिलाओं को अपने व्रत का कई गुना लाभ की प्राप्त होगा।
करवा चौथ व्रत की क्या है मान्यता
सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और वैवाहिक सुख के लिए रखती हैं तो वहीं कुंवारी लड़कियां यह व्रत सुयोग्य जीवनसाथी पाने के लिए रखती हैं। यह व्रत न केवल सुहागिन महिलाओं के लिए बल्कि कुंवारी लड़कियों के लिए भी विशेष होता है। इस दिन कुंवारी लड़कियां भी सुयोग्य जीवनसाथी पाने के लिए व्रत रखती हैं।
करवा चौथ का शुभ मुहूर्तः
4 नवंबर शाम 05 बजकर 34 मिनट से शाम 06 बजकर 52 मिनट तक करवा चौथ की संध्या पूजा का शुभ मुहूर्त है। माना जा रहा है कि शिमला में चंद्रोदय 8 बजकर 21 मिनट पर होगा।
करवा चौथ व्रत कथा : साहूकार के सात लड़के, एक लड़की की कहानी
एक साहूकार के सात लड़के और एक लड़की थी। एक बार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सेठानी सहित उसकी सातों बहुएं और उसकी बेटी ने भी करवा चौथ का व्रत रखा। रात्रि के समय जब साहूकार के सभी लड़के भोजन करने बैठे तो उन्होंने अपनी बहन से भी भोजन कर लेने को कहा। इस पर बहन ने कहा- भाई, अभी चांद नहीं निकला है। चांद के निकलने पर उसे अर्घ्य देकर ही मैं आज भोजन करूंगी। साहूकार के बेटे अपनी बहन से बहुत प्रेम करते थे, उन्हें अपनी बहन का भूख से व्याकुल चेहरा देख बेहद दुख हुआ। साहूकार के बेटे नगर के बाहर चले गए और वहां एक पेड़ पर चढ़ कर अग्नि जला दी। घर वापस आकर उन्होंने अपनी बहन से कहा- देखो बहन, चांद निकल आया है। अब तुम उन्हें अर्घ्य देकर भोजन ग्रहण करो। साहूकार की बेटी ने अपनी भाभियों से कहा- देखो, चांद निकल आया है, तुम लोग भी अर्घ्य देकर भोजन कर लो। ननद की बात सुनकर भाभियों ने कहा- बहन अभी चांद नहीं निकला है, तुम्हारे भाई धोखे से अग्नि जलाकर उसके प्रकाश को चांद के रूप में तुम्हें दिखा रहे हैं।
साहूकार की बेटी अपनी भाभियों की बात को अनसुनी करते हुए भाइयों द्वारा दिखाए गए चांद को अर्घ्य देकर भोजन कर लिया। इस प्रकार करवा चौथ का व्रत भंग करने के कारण विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश साहूकार की लड़की पर अप्रसन्न हो गए। गणेश जी की अप्रसन्नता के कारण उस लड़की का पति बीमार पड़ गया और घर में बचा हुआ सारा धन उसकी बीमारी में लग गया।
साहूकार की बेटी को जब अपने किए हुए दोषों का पता लगा तो उसे बहुत पश्चाताप हुआ। उसने गणेश जी से क्षमा प्रार्थना की और फिर से विधि-विधान पूर्वक चतुर्थी का व्रत शुरू कर दिया। उसने उपस्थित सभी लोगों का श्रद्धानुसार आदर किया और तदुपरांत उनसे आशीर्वाद ग्रहण किया।
इस प्रकार उस लड़की के श्रद्धा-भक्ति को देखकर एकदंत भगवान गणेश जी उसपर प्रसन्न हो गए और उसके पति को जीवनदान प्रदान किया। उसे सभी प्रकार के रोगों से मुक्त करके धन, संपत्ति और वैभव से युक्त कर दिया।