सोलन, सिरमौर, ऊनाहिमाचल

भाखड़ा विस्थापितों को यह सुविधाएं देगी सरकार

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ऊना। ग्रामीण विकास, पंचायती राज, मत्स्य, कृषि व पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि भाखड़ा डैम, सतलुज नदी पर मानव निर्मित गोविंद सागर जलाशय में इस वर्ष 500 मीट्रिक टन मच्छली उत्पादन की आशा है। उन्होंने बताया कि मच्छली उत्पादन से 3963 मछुआरों, 2169 लाइसैंस धारकों को लगभग आठ करोड़ रूपये की आमदनी होगी। इस जलाशय के माध्यम से भाखड़ा बांध से विस्थापित लगभग दो हजार परिवारों को उप-सहकारी समितियों के माध्यम से मच्छली पालन से जुड़े अनेक क्षेत्रों जैसे परिवहन, पैकिंग, मार्किटिंग आदि द्वारा रोजगार के अतिरिक्त साधन उपलब्ध करवाए जा रहे हैं।मत्स्य पालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि अक्तूबर माह तक गोविंद सागर झील से 195.34 मीट्रिक टन मच्छली का उत्पादन किया गया था। गोविंद सागर झील से पकड़ी गई मच्छली को गर्मी के मौसम में 126 रूपये प्रति किलो के भाव पर बेचा गया, जबकि सर्दियों में 182 रूपये प्रति किलो के भाव पर बाजार में बेचा जा रहा है। इस जलाशय में मच्छलियों की संख्या में निरंतर बढ़ौतरी का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए मच्छली पालन विभाग ने जलाशय में 70 एमएम या इससे बड़े आकार की व्यापारिक महत्व की 44, 30, 763 फीगर लिंगस को जलाशय में छोड़ा है। उन्होंने कहा कि सिल्वर कार्प, ग्रा कार्प, कॉमन कार्प जैसी वाणिज्य महत्व की मच्छलियों के उत्पादन से मजदूरों तथा मच्छली उद्योग से जुड़े लोगों की आमदनी बढ़ाने में मदद मिलेगी।

कंवर ने बताया कि इस जलाशय में ग्रैविड सपानर तथा आईएमसी प्रजातियों को फींगर लिंगस को वर्ष 1969 में जारी करके विधिवत रूप से मच्छली उत्पादन की शुरूआत की गई थी। मच्छली उत्पादन के सफल प्रयोग के बाद अब लगातार इस जलाशय में व्यापारिक महत्व की आईएमसी, सिल्वर कार्प, ग्रास कार्प व कॉमन कार्प जैसी प्रजातियों का पालन किया जाता है, जिनकी बाजार में बहुत ज्यादा मांग रहती है जिसकी वजह से मच्छली उद्योग से जुड़े लोगों को आकर्षक दाम मिलते हैं व राज्य में आर्थिक समृद्धि का आगाज होता है।

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