किसान नागचला हवाई अड्डे के विरोध में उतरे, बोले जाहू में हो निर्माण

शिमला। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में नागचला में हवाई अड्डे के सरकारी प्रस्ताव के विरोध में बल्ह के किसान विरोध पर उतर आए हैं।
बल्ह बचाओ किसान संघर्ष समिति ने आज जारी वक्तव्य में कहा कि बल्ह की उपजाऊ भूमि में ही घरेलू उडान के लिए हवाई अड्डे का निमार्ण क्यों किया जा रहा है । समिति के अध्यक्ष जोगिन्दर वालिया व सचिव नन्दलाल वर्मा ने विरोध प्रकट करते हुए कहा कि सरकार द्वारा बल्ह प्रस्तावित हवाई अड्डा, 2150 मीटर रनवे, केवल एटीएस और 72 सीटर छोटा हवाई जहाज घरेलू उडान के लिए ही प्रस्तावित है और अंतरार्ष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए 3150 मीटर हवाई पट्टी बनानी पड़ेगी जो ओएलएस सवेर के अनुसार सुंदरनगर की पहाड़िया (बंदली धार) 500 मीटर काटनी पड़ेगी जो संभव नहीं है।उन्होंने सुझाव दिया कि यदि सरकार अन्तरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाने की दिलचस्पी रखती है तथा इसके लिए कटिबद्ध है तो जाहू में बिना पहाड़ काटे कम लागत से, बिना किसानों को उजाड़े 3150 मीटर हवाई पट्टी का निमार्ण किया जा सकता है। अन्यथा प्रस्तावित 72 सीटर हवाई जहाज के लिए मंडी जिला में ही नंदगढ़, ढांगसीधार, मौवीसेरी आदि उपयुक्त जगह है। जाहू में हवाई अड्डा बनाया जाता है तो इसका निमार्ण कार्य ज्यादातर जिला मंडी में ही होगा जिसमे 80 फीसदी सरकारी जमीन उपलब्ध है।
संघर्ष समिति के सचिव ने कहा कि बल्ह में प्रस्तावित हवाई अड्डा क्षेत्र में आठ गांव सियांह, टान्वा, जरलू, कुम्मी, छात्तरू, ढाबण, भौर, डुंगराइ के लगभग दो हजार स्थानीय परिवार प्रभावित हो रहे हैं । ये लोग भूमिहीन हो जाएंगे और पूरी तरह विस्थपित हो जायेंगे और बल्ह क्षेत्र का नामोनिशान ही मिट जायेगा । बल्ह की जनता जो नकदी फसले उगा कर जीवन यापन कर रही है। जोगिंदर ने कहा कि प्रदेश सरकार ने अब तक भूमि अधिग्रहण कानून 2013 को लागू नहीं किया है और न ही पुर्नस्थापना और पुनर्निवास की कोई नीति घोषित की है। बल्ह में प्रस्तावित हवाई क्षेत्र में जमीन के सर्कल रेट इतने कम है कि जमीन कौड़ियों के भाव जायेगी। उन्होंने सरकार से मांग की कि प्रस्ताविक हवाई अड्डे को किसी दूसरी जगह बनाया जाये और इस क्षेत्र की उपजाऊ भूमि को हर हाल में बचाया जाए अन्यथा आने वाले दिनों में संघर्ष समिति जिला व राज्य स्तर पर कोई भी संघर्ष करने पर मजबूर हो जाएगी, जिसकी पूरी जिम्मेवारी सरकार कि होगी ।